रूस-यूक्रेन युद्ध का आज पांचवां दिन है। यूक्रेन की राजधानी कीव में एयर रेड अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए गए हैं। इस बीच वहां फंसे भारतीयों की चिंता भी भारत में बढ़ गई है। इनमें अधिकांश छात्र हैं, जो पढ़ाई के लिए यूक्रेन में गए थे। इन छात्रों की निकासी के लगातार प्रयास हो रहे हैं। वहीं, आज सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन संकट पर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इसमें भारतीयों को वापस लाने के लिए चर्चा की गई। बैठक में तय किया गया है कि चार मंत्री निकासी के समन्वय के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जाएंगे। खाड़ी युद्ध के दौरान भी ऐसे कदम भारत उठा चुका है। इस बार देरी से भारत सरकार ने ये निर्णय किया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच केंद्रीय मंत्री ने भारतीयों की सुरक्षित निकासी के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और किरेन रिजिजू और जनरल वीके सिंह निकासी मिशन के समन्वय और छात्रों की मदद करने के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों की यात्रा करेंगे। बता दें कि यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन में फंसे भारतीयों में से 249 लोगों का एक दल आज ऑपरेशन गंगा के तहत पांचवीं फ्लाइट से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचा। इन सभी को रोमानिया के बुखारेस्ट एयरपोर्ट से लाया गया है। वतन लौटे यात्रियों ने यूक्रेन से सुरक्षित निकासी के लिए भारतीय दूतावास के अधिकारियों की प्रशंसा की है।
रूसी हमले के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने की कवायद के बीच पीएम मोदी ने रविवार को भी उच्च स्तरीय बैठक की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय छात्रों की सुरक्षा और उनकी जल्द वापसी सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
खाड़ी युद्ध के दौरान भी लाए गए थे पौने दो लाख भारतीय नागरिक
दो अगस्त 1990 को खाड़ी युद्ध शुरू होने के बाद वहां फंसे पौने दो लाख भारतीयों को सुरक्षित तत्कालीन सरकार ने निकाला था। इसके लिए विदेश मंत्री इंदर कुमार गुजराल, अतिरिक्त सचिव आईपी खोसला बग़दाद पहुंचे थे। जहां गुजराल की मुलाक़ात सद्दाम हुसैन से हुई। इस मुलाकात में सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले लगाया था और बातचीत बहुत अच्छी रही थी। इसके बाद सद्दाम ने भारतीयों के रेस्क्यू ऑपरेशन करने की इजाजत दे दी।
तब उस वक्त के भारत के दूतावास के कर्मचारी आज युक्रेन के जैसे अपना दफ्तर बंद कर के भागे नही थे, बल्कि तब एम्बेसी के अधिकारी रोज वहां के लोकल बस प्रोवाइडर्स से संपर्क करते थे और रिफ्यूजीज को बसरा, बगदाद और अमान होते हुए 2000 किमी. दूर पहुंचाते थे। इस काम में हर रोज 80 बसें लगती थीं। एयर इंडिया की मदद से चलाया गया पोने दो लाख भारतीयों को निकालने का यह अभियान दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन माना जाता है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के असली हीरो एयर इंडिया का चालक दल, एम्बेसी के कर्मचारी और राजनयिक थे।
भारतीय दूतावास की सलाह
यूक्रेन-रूस संकट के बीच, यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों को सरकारी अधिकारियों के साथ पूर्व समन्वय के बिना किसी भी सीमा चौकियों पर नहीं जाने की सलाह दी है। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बीच 15 हजार से ज्यादा भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। इन्हें स्वदेश लाने के लिए ऑपेरशन गंगा जारी है. इसके तहत अब तक एयर इंडिया की 5 फ्लाइट से 1100 से ज्यादा छात्र-छात्राओं समेत भारतीय नागरिकों को भारत लाया जा चुका है। हालांकि, अभी भी हज़ारों भारतीयों को घर वापसी का इंतजार है।
जेलेंस्की को मारवाना चाहता है रूस
रूस के राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की हत्या करवाना चाहते हैं। इसके लिए 400 हथियारबंद लड़ाके कीव में प्रवेश कर चुके हैं। ये भाड़े के लड़ाके क्रेमलिन के आदेश पर कीव में जेलेंस्की को मारने के लिए घुसे हैं। इसका उद्देश्य यह है कि राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की हत्या करवाकर, कीव में रूस समर्थित सरकार बैठाई जा सके।
हमले में मारे गए 352 यूक्रेन के नागरिक
गुरुवार को बड़े पैमाने पर हमला शुरू करने के बाद से रूस कई यूक्रेनी शहरों पर क्रूज मिसाइलों की बारिश कर रहा है। यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव में रविवार को सड़क पर लड़ाई हुई। इस दौरान यूक्रेनी सेना, जो कि पहले बचाव में नाकामयाब रही थी, रूसी सैनिकों से शहर का नियंत्रण वापस लेने में कामयाब रही। हालांकि राजधानी कीव में सख्त युद्धकालीन कर्फ्यू है, लेकिन शहर में बीच-बीच में गोलियों और विस्फोटों की आवाज़ें जारी हैं। यूक्रेन के आंतरिक मंत्रालय ने कहा है कि रूस के हमलों में यूक्रेन के 352 नागरिक मारे गए हैं। इनमें 14 बच्चे भी शामिल हैं। वहीं, अब तक 116 बच्चों समेत 1684 लोग जख्मी हुए हैं. हालांकि, मंत्रालय ने युद्ध में कितने सैनिक मारे गए, यह जानकारी नहीं दी।