राजस्थान के जयपुर में एक विधायक ने अनोखा प्रदर्शन किया। हालांकि ये निर्दलीय विधायक का सरकार को समर्थन है, लेकिन ज्वलंत मुद्दों को लेकर उन्होंने अनूठा विरोध प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास किया। जयपुर के सेंट्रल पार्क में एक निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने काले कपड़े पहनकर 12 घंटे तक जॉगिंग की। उन्होंने ये दौड़ परीक्षा पेपर लीक, बेरोजगारी और शिक्षा व्यवस्था में अनियमितता के मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन के रूप में लगाई। दरअसल, निर्दलीय विधायक बलजीत यादव गहलोत सरकार से जयपुर कलेक्टर और रघुकुल विश्वविद्याल सीकर के मामले में फर्जी जांच रिपोर्ट देने वाले अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। काला कपड़ा पहन कर सुबह से ही सेंट्रल पार्क जयपुर में उन्होने नॉन स्टॉप दौड़ लगाई।
बलजीत यादव ने कहा कि मैं एक निर्दलीय विधायक हूं इस विरोध के साथ मैं सरकार को बताना चाहता हूं कि प्रदेश के युवा कितना पीड़ित हैं। यह विधायक स्पष्ट रूप से आश्वस्त नहीं है, क्योंकि ये परीक्षा में नकल रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं है। हालांकि, यादव अशोक गहलोत की सरकार का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह युवाओं की दुर्दशा को उजागर करना चाहते हैं।
इससे पहले गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में सार्वजनिक परीक्षा भर्ती में अनुचित संसाधनों और नकल की रोकथाम के लिए लाए गए विधेयक पर बहस के दौरान बलजीत यादव ने कहा था कि यह विधेयक किसी काम का नहीं है। इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है। बलजीत यादव ने कहा कि कुछ स्टूडेंट उनसे मिलने आए थे। परीक्षा लीक मामले में गिरफ्तार रामकृपाल ने उनसे परीक्षा में पास करवाने के नाम पर पैसे मांगे थे। बच्चों ने बताया था कि वो तब की बात है, जब पेपर लीक मामले में भजनलाल को गिरफ्तार किया गया था।
गहलोत सरकार के पीएचडी मंत्री महेश जोशी ने विधायक को विरोध प्रदर्शन न करने के लिए बलजीत यादव को मनाने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राजस्थान में विधानसभा सत्र चल रहा है और हाल ही में सार्वजनिक परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए एक सख्त कानून पारित किया गया है।
यादव ने अपनी दौड़ पूरी होने के बाद कहा कि यह कदम उन्होंने अपने आप को सजा देने के लिए उठाया है। उन्होंने कहा कि हम कानून को मानने वाले हैं। किसी को गोली मार नहीं सकते और कायर हैं नहीं जो सुसाईड कर लें। सरकारें बदलती रहती हैं, लेकिन विधानसभा में सुनवाई होती नहीं है। इसलिए उन्होंने राज्य के युवाओं के प्रति हो रहे अन्याय पर अपना रोष जाहिर करने के लिए स्वयं को कष्ट देने का फैसला लिया।