Art and Heritage Festival 2022 : विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 में देहरादून के विभिन्न विद्यालयों के बच्चो ने खूबसूरती से अपनी शास्त्रीय नृत्य एवं कला का प्रदर्शन किया

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विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 (Art and Heritage Festival 2022) में देहरादून के विभिन्न विद्यालयों के बच्चो ने खूबसूरती से अपनी शास्त्रीय नृत्य एवं कला का प्रदर्शन किया

देहरादून: विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 (Art and Heritage Festival 2022) के तीसरे दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। विरासत साधना कार्यक्रम के अंतर्गत देहरादून के विभिन्न विद्यालयों के बच्चो ने खूबसूरती से अपनी शास्त्रीय नृत्य एवं कला का प्रदर्शन किया।

इस कार्यक्रम में 12 विद्यालयो के 12 बच्चो ने प्रतिभाग किया। इसके अंतर्गत बच्चो ने भरतनाट्यम एवम कथक जैसे शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम की शुरुवात में मनसा शर्मा(संत जोसेफ एकेडमी) ने अपनी भरतनाट्यम प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया।

विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 में देहरादून के विभिन्न विद्यालयों के बच्चो ने खूबसूरती से अपनी शास्त्रीय नृत्य एवं कला का प्रदर्शन किया
विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 में देहरादून के विभिन्न विद्यालयों के बच्चो ने खूबसूरती से अपनी शास्त्रीय नृत्य एवं कला का प्रदर्शन किया

 

उसके बाद श्रृष्टि दवेली ( राज हंस पब्लिक स्कूल) कथक, नंदिनी खंकवाल (कन्वेंटबॉफ जीसस एंड मेरी) भरतनाट्यम, स्नेहा बिस्वास( टच वुड स्कूल) कथक, पर अपनी प्रस्तुति दी।

अंत में अंशिका चौहान ( हिल फाउंडेशन ग्रुप एजुकेशन) ने भरतनाट्यम नृत्य पर प्रस्तुति देकर कार्यक्रम का समापन किया। सभी प्रतिभागियों को विरासत साधना के आयोजक कल्पना शर्मा द्वारा सर्टिफिकेट देकर  सम्मानित किया।

 

विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के दूसरे दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ

  • सुरेश ईश्वर वाडकर एवं अनन्या वाडकर के जुगलबंदी ने विरासत के लोगो को मंत्रमुग्ध किया
  • डॉ प्रभाकर कश्यप और डॉ दिवाकर कश्यप के शास्त्रीय संगीत से आनंदित हुए विरासत के लोग

देहरादून: विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के दूसरे दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। विरासत साधना कार्यक्रम के अंतर्गत देहरादून के 19 स्कूलों ने प्रतिभाग किया जिसमें कुल 24 बच्चों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित प्रस्तुतियां दी। गायन में बच्चों ने भारत के लोकप्रिय राग पर अपनी प्रस्तुति दी, वही कुछ छात्र-छात्राओं ने भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी प्रस्तुत किया।

वाद्य यंत्र पर तबला, हारमोनियम एवं सितार पर भी बच्चों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी। विरासत साधना में प्रतिभाग करने वाले स्कूलों में ओजस्विनी भट्ट (सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल) ने (राग देस) पर खूबसूरत प्रस्तुति दी उनके संगत में तबला और हारमोनियम पर योगेश और राघव ने मिलकर प्रस्तुतियों को और मनमोहक बना दिया। 

Virasat

इसके साथ जयांशी सुकला (कॉन्वेंट जीसस एंड मैरी) संगीत ( राग देस ) दृष्टि कनोजिया (बनयानट्री पब्लिक स्कूल) संगीत (राग भैरव) दीपक भारद्वाज (घुंघरू कथक संगीत महाविद्यालय) वाद्य यंत्र (तबला) शिवरंजनी करमाकर (फिलफोट पब्लिक स्कूल) वाद्य यंत्र (सितार) और ऐसे ही कई अन्य स्कूलों के बच्चो ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी। विरासत साधना कार्यक्रम सुबह 10ः00 बजे से लेकर दोपहर 2ः30 बजे तक चला। प्रतिभाग करने बाले सभी बच्चों को विरासत की ओर से सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।

सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं डॉ प्रभाकर कश्यप और डॉ दिवाकर कश्यप के जुगलबंदी में शास्त्रीय संगीत कि प्रस्तुतियां हुई। उनके प्रस्तुतियों की शुरुआत रूपक विलाम्बित में राग यमन की खूबसूरत बंदिश ’पिया घर आए ’ से हुई। उनकी अगली प्रस्तुति मध्य लय में थी, “ऐसे सुंदर सुगरवा बालम“ और ड्रट लय में बंदिश के साथ समाप्त हुआ, “सप्त सुरन गुण राम को दिया“ राग मिश्रा खमाज में “रखियो बलम वही नजरिया“ के एक सुंदर दादरे में कार्यक्रम का समापन हुआ। उनके साथ डॉ. दिवाकर के किशोर पुत्र कुमार पद्माकर कश्यप भी मौजूद थे। उनके साथ हारमोनियम पर बेहद प्रतिभाशाली पारोमिता मुखर्जी और तबले पर वादक पंडित मिथिलेश झा जी भी मौजूद थे।

Virasat Art and Heritage Festival was inaugurated by Hon'ble Chief Minister Shri Pushkar Singh Dhami ji
Virasat Art and Heritage Festival was inaugurated by Hon’ble Chief Minister Shri Pushkar Singh Dhami ji

डॉ प्रभाकर कश्यप और डॉ दिवाकर कश्यप संगीतकारों के परिवार में जन्मे हैं, कश्यप बंधु, ने शुरुआती संगीत की शिक्षा अपने माता-पिता, पं. रामप्रकाश मिश्रा और श्रीमती मीरा मिश्रा से ग्रहण की हैं। बाद में दोनों को बनारस घराने के आचार्य पद्मभूषण पं. राजन मिश्रा और पं. साजन मिश्रा ने शिक्षा दी। बनारस गायकी अपनी अनूठी लयकारी और मनभावन मिठास के लिए प्रतिष्ठित है।

कश्यप बंधु के पास एक शक्तिशाली और व्यक्त करने वाली आवाज है, जो तीनों सप्तक में समान रूप से पहुंचती है। उनकी प्रस्तुति त्रुटिरहित होती है और रागों के कोमल प्रकटीकरण द्वारा चिह्नित होती है। गायन की युगल शैली जिसमें अत्यधिक समन्वय की आवश्यकता होती है, दोनो ने ही इसमें कुशलता से महारत हासिल की है, जिसका अलाप और जटिल तान का प्रतिपादन मनोरम और सुंदर है।

Virasat Art and Heritage Festival was inaugurated by Hon'ble Chief Minister Shri Pushkar Singh Dhami ji
Virasat Art and Heritage Festival was inaugurated by Hon’ble Chief Minister Shri Pushkar Singh Dhami ji

कार्यक्रम की आखिरी प्रस्तुति लोकप्रिय पार्श्व गायक सुरेश ईश्वर वाडकर की रही जिन्होंने अपनी प्रस्तुति से विरासत में मौजुद लोगो को थिरकने पर मजबूर कर दिया। सुरेश वाडकर जी ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत लोकप्रिय भजन से की जिस भजन ने सभी लोगों को मंच की ओर आकर्षित कर लिया। उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति में ’जब कुछ नहीं भाता प्रेम रोग लग जाता से शुरूआत कि उसके बाद उन्होंने ’और इस दिल में क्या रखा है तेरा ही दर्द छुपा रखा है’ गया।

इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने कई प्रचलित हिंदी गानों में प्रस्तुतियां दी जिनमें उनका साथ उनकी बेटी अनन्या वाडकर ने दिया। इसके अलावा उन्होंने अपने कुछ प्रचलित गाने भी गाए। उनके साथ उनकी संगत में रमेश मिश्रा (बैंड लीडर कीबोर्ड ) कबीर दास (कीबोर्ड) दिनेश कुमार (ऑक्टोपैड) नीरज कुमार (तुम्बास एव परकशन), इमरान खान (तबला), महेश मिश्रा(ड्रमर) भुवन ( लीड गिटार) रमन (बेस गिटार) में उनका सहयोग दिया।

सुरेश ईश्वर वाडकर भारतीय पार्श्व गायन में एक प्रसिद्ध नाम हैं। वे हिंदी और मराठी दोनों फिल्मों में गाते हैं। इसी के साथ उन्होंने भोजपुरी, उड़िया और कोंकणी फिल्मों में गाने गाए हैं। उन्हें सुगम संगीत के लिए 2018 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2020 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया।

किशोरावस्था में सुरेश जी को जियालाल वसंत जी ने प्रयाग संगीत समिति द्वारा प्रस्तुत “प्रभाकर“ प्रमाण पत्र की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया, उन्होंने सफलतापूर्वक अपना “प्रभाकर“ पूरा किया और एक संगीत शिक्षक के रूप में मुंबई में आर्य विद्या मंदिर में अपनी सेवा दी।

हालांकि भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए तैयार किए गए वाडकर ने 1976 में सुर-सिंगार प्रतियोगिता में प्रवेश किया। उन्होंने वह प्रतियोगिता जीती जिसे जयदेव और रवींद्र जैन सहित भारतीय फिल्म उद्योग के संगीतकारों ने जज किया। रवींद्र जैन ने उन्हें पार्श्व गायन की दुनिया से परिचित कराया और उन्होंने फिल्म पहेली में रवींद्रजी की रचना को गाया। जयदेवजी ने उन्हें गमन फिल्म में प्रतिष्ठित गीत “सीने में जलान“ की भी पेशकश की।

Virasat Art and Heritage Festival was inaugurated by Hon'ble Chief Minister Shri Pushkar Singh Dhami ji
Virasat Art and Heritage Festival was inaugurated by Hon’ble Chief Minister Shri Pushkar Singh Dhami ji

09 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2022 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और  हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था।

विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है। विरासत 2022 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।


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