Bhakti | ईश्वर के प्रति अत्यधिक प्रेम (Immense Love) का होना ही भक्ति है
ईश्वर के प्रति अत्यधिक प्रेम का होना ही भक्ति है
बुद्धि (Bhakti) बादाम खाने से नही, बुद्धि धोखा व ठोकर खाने से आती है -Styavachan
भारतीय सनातन धर्म ग्रंथों में भक्ति (Bhakti) के अनेकानेक उदाहरण उद्धृत किए गए हैं
शास्त्रों में ईश्वर को प्राप्त करने के दो मार्ग है
1. वचन से ईश्वर को प्राप्त करना (भक्ति Bhakti मार्ग) यानि परम गुरु द्वारा ईश्वर की प्राप्ति और परमगुरु मानव शरीर नही होता; परम गुरु यानि जीवितगुरु शरीर नही होता वह आत्मा है उसे परमात्मा (परम+आत्मा) में ईश्वर के दर्शन होते है। हमें सिर्फ उसे गुरुरूप विश्वास के साथ स्वीकार करना होता है फिर देखों आनन्द की बरसात।
2. सत्य की संगति यानि संतों के संग से (ज्ञान मार्ग) के द्वारा ईश्वर प्राप्ति का साधन।
ईश्वर के प्रति अत्यधिक प्रेम का होना ही भक्ति है
बुद्धिमान व्यक्ति और सच्चे ज्योतिष, भविष्यवक्ता; हमेशा ईश्वर को ढूंढ़ते है वे लोभ लालच, पैंसा, दौलत, पद प्रतिष्ठा, मान सम्मान के पीछे नही भागते है क्योंकि वे जानते है कि ईश्वर का वचन कहता है कि बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा मेरे राज्य व धर्म की ढूंढ़ में लगा रहता है। ये सभी संसारिक चीजें उसे यूं ही मिल जाती है जैसे दूध देने वाला व्यक्ति रोंगे में दूध लेने वालें रोंगे में एक्सट्रा दूध दे देता है।
प्राचीन ऋषियों ने जीव की (कर्मबद्ध मुक्ति के लिए अनेक साधन निरूपित किये हैं उन साधनों में भक्ति मार्ग (Bhakti) की महान विशेषता है जो वचन से प्राप्त होती है इस मार्ग का अनुसरण करके जीवात्मा परमात्मा को प्राप्त कर सकता हैं। अथवा सृष्टि के आरंभ से ही अनेक भक्तों ने भक्ति मार्ग पर चलकर स्वात्मानुभूति के साथ-साथ जगत का भी कल्याण किया हैं। भक्ति मार्ग पर चलने वाला जीव सहजता से श्रेय प्रेय को प्राप्त कर लेता है