दिवाली (Diwali) त्योहर में लोग जमकर कर रहे हैं खरीददारी | दिवाली में धरती को प्रदूषण से बचाए People are shopping fiercely in Diwali festival | save the earth from pollution in Diwali

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दिवाली (Diwali) त्योहर में लोग जमकर कर रहे हैं खरीददारी | दिवाली में धरती को प्रदूषण से बचाए

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diwali shopping 2022

विरासत में देहरादूनवासी जमकर कर रहे हैं दिवाली (Diwali) की खरीददारी |People are shopping fiercely in Diwali festival, save the earth from pollution in Diwali.

धरती को प्रदूषण से बचाए | दिवाली उपहारों, खुशीयां, मिठाईयां & बधाईयां देने व बांटने को त्योहार है प्रदूषण फैलाने का नही। पटाकेबाजी से बचे, प्रदूषण रोकने में मदद करोगे तुम्हारी संतानों में खुशियां होगी।

विरासत में देहरादूनवासी जमकर कर रहे हैं दिवाली (Diwali) की खरीददारी, वही देहरादून के लोग शाम ढलते ही विरासत के प्रांगण में  अपने पूरे परिवार के साथ आकर जमकर दिवाली की खरीदारी करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के अन्य राज्य से आए हुए खाने-पीने के स्टाल पर व्यंजन एवं पकवान का आनंद ले रहे हैं।

विरासत में मौजूद अन्य राज्यों के हथकरघा एवं हस्तशिल्प के उत्पादन बहुत लोकप्रिय है एवं देहरादून के लोग उसे जमकर खरीद भी रहे हैं इसी के साथ कई ऐसे स्टॉल्स भी हैं जहां पर मिट्टी के दीए के साथ-साथ घर की सजावट के लिए बहुत से सामान मौजूद हैं।

क्लेमन टाउन निवासी डॉ दिव्या नेगी धई जो एक विरासत की विजिटर हैं बताती हैं कि वे कई बरसों से विरासत में लगे हुए स्टॉल से पूरे साल की खरीददारी करती है। वें कहती हैं कि विरासत का आयोजन साल भर में बस एक बार होता है परंतु कुछ ऐसी हमारे दैनिक चीजें होती है जिसकी आवश्यकता हमें पूरे साल भर रहती है। वह सब मैं 15 दिन के इस आयोजन में कई बार आकर धीरे-धीरे ले जाती हूं। मुझे जो सबसे ज्यादा पसंद है उसमें हथकरघा एवं हस्तशिल्प के बने हुए उत्पाद के साथ-साथ घर के सजावट में इस्तेमाल होने वाले कुछ अन्य वस्तुएं जो आपको सिर्फ विरासत में मिलती है।

जैसे आप देख सकते हैं आंध्रप्रदेश कर्नाटक, बिहार से आए हुए हैं स्टॉल जहां पर आप को बिल्कुल अनोखे वस्तुएं मिल जाएगी जिसे आप घर में इस्तेमाल कर सकते हैं और दैनिक जीवन में यूज कर सकते हैं।  इसी प्रकार आप देख सकते हैं कि राजस्थान के पोखरण से आए हुए कुछ स्टॉल हैं जहां पर आपको विभिन्न प्रकार के भगवान की मूर्तियां एवं कलाकृतियां मिल जाएगी साथ ही दीपावली एवं अन्य त्योहारों में इस्तेमाल होने वाले दीप के साथ-साथ मिट्टी के अनोखे बर्तन भी मिल जाती हैं जो हमें देहरादून के बाजार में संभवत उपलब्ध नहीं हो पाती है।

दिनांक-21 अक्टूबर 2022 के सांस्कृतिक कार्यक्रम में शाम 7ः00 बजे एस आकाश जी के द्वारा बांसुरी वादन प्रस्तुत किया जाएगा एवं शाम 8ः00 बजे वडाली ब्रदर्स द्वारा सूफी गीत कि प्रस्तुतियां होंगी।

विरासत में देहरादूनवासी जमकर कर रहे हैं दिवाली की खरीददारी |People are shopping fiercely in Diwali festival, save the earth from pollution in Diwali.

Save the earth from pollution Diwali is a festival for giving and distributing gifts, happiness, sweets & greetings, not for spreading pollution. Avoid firecrackers, you will help to stop pollution, there will be happiness in your children

09 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2022 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और  हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था।

विरासत में देहरादूनवासी जमकर कर रहे हैं दिवाली की खरीददारी |People are shopping fiercely in Diwali festival, save the earth from pollution in Diwali.

People are shopping fiercely in Diwali festival, save the earth from pollution in Diwali

विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।


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