डीएनए मॉलिक्युलर मार्कर (DNA Molecular Marker) पौधों के पहचान में सटीक तरीका, लोगों को ट्यूमर व कैंसर होने पर सचेत रहना होगा
नैनीताल। डीएनए मॉलिक्युलर मार्कर (DNA Molecular Marker) पौधों के पहचान में सटीक तरीका है तथा लोगों को ट्यूमर होने पर कैंसर की तरफ सचेत रहना होगा जिसके सही समय पर इसका इलाज हो सके तथा इस रोग से बचा जा सके।
कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के शोध निदेशक प्रो ललित तिवारी ने बरेली कॉलेज बरेली द्वारा आयोजित सात द्विवसीय कार्यशाला जिसे उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है में औषधीय एवम संगंध पौधे पर व्याख्यान दिया तथा इन पौधों के संरक्षण एवं इनकी खेती को बड़ावा देने का आग्रह किया।
प्रो तिवारी ने कहा की 52885 औषधि एवम संगंध पौधे पूरे विश्व में पाए जाते है तथा 46 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है। प्रतिवर्ष 7 प्रतिसत की वृद्धि इस कारोबार में देखी गई है प्रो तिवारी ने उत्तराखंड के औषधीय पौधो पर व्यापक प्रकाश भी डाला तथा कहा की इनकी खेती को बड़ावा देना होगा ताकि 72 प्रतिशत की जंगलों पर इनकी निर्भरता को कम किया जा सकेगा।
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भीमताल परिसर के डॉक्टर संतोष उपाध्याय ने भी कार्यशाला में व्याख्यान दिया उन्होंने कहा के डीएनए मॉलिक्युलर मार्कर पौधों के पहचान में सटीक तरीका है तथा लोगों को ट्यूमर होने पर कैंसर की तरफ सचेत रहना होगा जिसके सही समय पर इसका इलाज हो सके तथा इस रोग से बचा जा सके।
डीएनए मॉलिक्युलर मार्कर (DNA Molecular Marker) पौधों के पहचान में सटीक तरीका है तथा लोगों को ट्यूमर होने पर कैंसर की तरफ सचेत रहना होगा जिसके सही समय पर इसका इलाज हो सके तथा इस रोग से बचा जा सके। सावधानी ही इसकी रोकथाम कर सकता है।
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कार्यशाला में प्रो आलोक खरे, डॉक्टर आशा रानी, डॉक्टर शालिनी सक्सेना, डॉक्टर गीता तिवारी, डॉक्टर निशा, डॉक्टर सर्वेश सुयाल, कुमुद सहित 30 प्रतिभागी जिनमें उत्तर प्रदेश उत्तराखंड के सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी विद्यार्थी शामिल है। कार्यशाला में प्रो ललित तिवारी, डॉक्टर संतोष उपाध्याय को फूल भेट कर तथा बैच लगाकर स्वागत किया गया।
देहरादून आईएसबीटी को जन सुविधा के दृष्टिगत अधिक विकसित किये जाने के लिए कार्य योजना
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में परिवहन विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश के सभी आई.एस.बी.टी में जन सुविधाओं के दृष्टिगत हर सम्भव व्यवस्थाएं की जाए। राज्य में आने वाले समय में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी, इसे ध्यान में रखते हुए राज्य के आईएसबीटी के विस्तारीकरण के लिए भी योजना बनानी होगी।
मुख्यमंत्री ने आईएसबीटी देहरादून की समीक्षा के दौरान निर्देश दिये कि इसमें यात्रियों की सुविधा के दृष्टिगत सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने जिलाधिकारी देहरादून/ उपाध्यक्ष एमडीडीए श्रीमती सोनिका को निर्देश दिये कि देहरादून आईएसबीटी में आवश्यक सुविधाओं को और विस्तार दिया जाए। उन्होंने कहा कि देहरादून आईएसबीटी को जन सुविधा के दृष्टिगत अधिक विकसित किये जाने के लिए कार्य योजना बनाई जाए।
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मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि आईएसबीटी के आस-पास हो रहे अतिक्रमण के लिए संबंधित थाने एवं चौकी प्रभारियों की जिम्मेदारी तय की जाय। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी आईएसबीटी के आस-पास अतिक्रमण न हो। उन्होंने कहा कि राज्य में जो भी नए आई.एस.बी.टी बनाये जाने हैं, उसके लिए ऐसे स्थान चिन्हित किये जाएं, जो यात्रियों के लिए भी आवागमन की दृष्टि से सुविधाजनक हों और भूमि की भी पर्याप्त उपलब्धता हो।
इस संबंध में सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे की योजना बनाई जाए। बस अड्डों पर पर्वतीय उत्पादों के विपणन की व्यवस्था भी मॉडल रूप में की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश की सभी सड़कें गड्ढ़ा मुक्त हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे कभी भी राष्ट्रीय राजमार्गों का औचक निरीक्षण कर सकते हैं। यदि राष्ट्रीय राजमार्गों पर गड्ढ़े पाये गये तो, संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कारवाई की जायेगी।
सड़कों के कार्यों में किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी। देवभूमि उत्तराखण्ड में देश विदेश से अनेक श्रद्धालु एवं पर्यटक आते हैं। सभी की यात्रा सुगम हो, वे यहां से अच्छा संदेश लेकर जाएं, यह हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन प्रतिनिधियों से जो भी सुझाव मिल रहे हैं, उन्हें गंभीरता से लिया जाए। सड़क सुरक्षा के लिए लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जाए।
यदि कोई वाहन बिना फिटनेस टेस्ट के चल रहे हैं, तो इसके लिए भी संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बैठक में जो भी निर्णय लिए गये हैं, उन पर आवश्यक कार्यवाही के लिए पहले सचिव परिवहन समीक्षा करेंगे। उसके बाद परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में बैठक की जाए। उसके बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में भी बैठक होगी।