मशहूर फिल्म अभिनेता विक्टर बनर्जी को पद्मभूषण अवार्ड से नवाजे जाने की घोषणा होने पर मसूरी वासियों में खुशी की लहर है वही मगलंवार से ही विक्टर बनर्जी को मुबारकबाद देने का सिलसिला जारी है। बता दें कि विक्टर बनर्जी अपनी पत्नी और परिवार के साथ मसूरी के छावनी परिषद स्थित लाल टिब्बा के पास रहते हैं और उनका ज्यादातर समय मसूरी में ही बीतता है विक्टर बैनर्जी का मसूरी से विशेष लगाव है वहीं उत्तराखंड आंदोलन में भी उनकी अहम भूमिका रही है। फिल्म अभिनेता विक्टर बनर्जी दो बेटियां हैं। उनकी पत्नी का नाम माया बनर्जी है।
उत्तराखंड टैक्सी मैक्सी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष और भागीरथी ट्रैवल्स के मालिक सुंदर सिंह पंवार ने बताया कि वह अभिनेता विक्टर बनर्जी के परिवार को पिछले 35 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं वहीं उनके जीजा दयाल सिंह रावत विक्टर बनर्जी के चालक थे परंतु स्वास्थ्य खराब होने के कारण अब वह घर पर रहते हैं परंतु विक्टर बनर्जी और उनका परिवार लगातार उनकी देखभाल में लगा रहता है वह विक्टर बैनर्जी मसूरी में समाजिक कार्यो में बढ़चढ़कर प्रतिभाग करते है परंतु उनको पब्लिक सिटी की आदत नहीं है सरल स्वभाव के विक्टर बनर्जी बहुत ही सादगी से अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय और बंगाली सिनेमा के लिए हैं प्रसिद्ध
अभिनेता विक्टर बनर्जी उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाने वाले पद्म भूषण सम्मान से नवाजा जायेगा। 75 वर्षीय विक्टर बनर्जी अंतरराष्ट्रीय और बंगाली सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने निर्देशक डेविड लीन के प्रोडक्शन में ए पैसेज टू इंडिया, सत्यजीत रे की घरे बैरे और शत्रुंज के खिलाड़ी, जेम्स आइवरी की हुल्लाबालू ओवर जॉर्जी एंड बोनी पिक्चर्स, और रोमन पोलांस्की के प्रोडक्शन में अभिनय किया। विक्टर बनर्जी के हिंदी फिल्म क्रेडिट में जॉगर्स पार्क, भूत और गुंडे शामिल हैं। उन्हें आखिरी बार 2020 की फिल्म संन्यासी देशनायोक में देखा गया था। बनर्जी ने घरे बैरे में अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। ए पैसेज टू इंडिया में उनके प्रदर्शन ने उन्हें बाफ्टा अवार्ड्स में नामांकित किया। विक्टर बनर्जी ने रोमन पोलांस्की, जेम्स आइवरी, सर डेविड लीन, जेरी लंदन, रोनाल्ड नेम, सत्यजीत रे, मृणाल सेन, श्याम बेनेगल, मोंटाजुर रहमान अकबर और राम गोपाल वर्मा जैसे चर्चित निर्देशकों के लिए काम किया है।
1994 में मसूरी गोलीकांड हुआ जिसमें 6 लोगो के साथ के पुलिस अधिकारी ने अपनी शहादत दी वहीं कई आंदोलनकारियों ने पुलिस की यातनाये झेली। मसूरी गोलीकांड के बाद उत्तराखंड आंदोलन के बारे में विस्टर बनर्जी का एक लेख अमेरिका के मशहूर वॉशिंगटन पोस्ट में छपा था। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड आंदोलन की के बसो में दुनिया का ध्यान आंदोलन पर गया।