नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में विद्युत दरों में वृद्धि पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। साथ ही इस मामले में प्रति शपथपत्र पेश करने के भी निर्देश दिये हैं।
इस मामले को देहरादून की निजी संस्था आरटीआई क्लब की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति एनएस धनिक की युगलपीठ में इस प्रकरण पर सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश का ऊर्जा विभाग घाटे के नाम पर प्रत्येक वर्ष विद्युत दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। विभाग की ओर से बैंकों में जो सावधि जमा की गयी हैं उनमें काफी अनियमितता एवं गड़बड़ियां हैं।
यह सार्वजनिक धन है और इसका लाभ जनता को भी मिलना चाहिए। हर साल विद्युत दरों में बढ़ोतरी से जनता की परेशानी बढ़ रही है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि विभाग इस साल भी विद्युत दरों में बढ़ोतरी करने की योजना बना रहा है।
इसके लिये विभाग की ओर से विभिन्न जनपदों में सुनवाई की जा रही है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से विभाग के इस कदम पर रोक लगाने की मांग की गयी। दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि ऊर्जा निगम एक स्वायत्त संस्था है। विद्युत दरें बढ़ाने के मामले में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है।
यह निगम का अपना निर्णय है। अदालत ने विद्युत दरों पर रोक लगाने की याचिकाकर्ता की मांग पर फिलहाल रोक लगाने से इन्कार कर दिया और उसे चार मार्च तक प्रति शपथपत्र पेश करने को कहा है। इस प्रकरण में अगली सुनवाई चार मार्च को होगी।