IAS Trainee Officers | लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे आईएएस प्रशिक्षु अधिकारियों ने की सीएम से मुलाकात
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में आई.ए.एस. प्रशिक्षु अधिकारियों (IAS Trainee Officers) ने भेंट की। सभी अधिकारी लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों पर शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन एवं उनका लाभ आम आदमी तक सुलभ कराने का दायित्व रहता है। उन्होंने लोगों की समस्याओं को समझने के लिये आम लोगों से जुडने की भी प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सरलीकरण, समाधान, निस्तारीकरण एवं संतुष्टि को अपनी कार्य पद्धति का सिद्धांत बनाया है और इसी मूल मंत्र को आधार बना कर जन समस्याओं को सुलझाया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आने वाले समय में सरलीकरण, समाधान, निस्तारीकरण मंत्र के साथ वे भी जन सेवा का दायित्व निभायेंगे ऐसी अपेक्षा है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि हम उत्तराखंड के सतत और सर्वांगीण विकास का विकल्प रहित संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं और इस संकल्प को समयबद्ध अवधि में निश्चित ही सिद्ध करने का हमारा प्रयास है।
इस अवसर पर सुश्री छवि भारद्वाज डिप्टी डायरेक्टर, सुश्री एकता उनियाल असिस्टेंट डायरेक्टर (लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी), प्रशिक्षु आई.ए.एस. सुश्री दीक्षा जोशी, श्री अर्पित चौहान, श्री प्रियांशु खाती एवं श्री मुकुल बेनिवाल उपस्थित थे।
सेंट्रियो मॉल में सपरिवार दि केरला स्टोरी फिल्म का अवलोकन
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने हाथीबड़कला स्थित सेंट्रियो मॉल में सपरिवार दि केरला स्टोरी फिल्म का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि द केरल स्टोरी एक ऐसी फिल्म है जिसमें दिखाया गया है कि कैसे बिना गोली और बम के देश में आतंकवाद फैलाया जा रहा है। फ़िल्म में इस तथ्य को भी प्रदर्शित किया गया है कि किस तरह से बालिकाओं का ब्रेनवॉश कर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है।
उन्होंने इस फिल्म को वास्तविकता से परिचित कराने तथा धर्मान्तरण एवं आतंकवाद के विरूद्ध जनजागरूकता को बढ़ावा देने वाली बताते हुए सभी से इस फिल्म को देखने की भी अपेक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भी अनेक तरीकों से विभिन्न जगहों पर धर्मांतरण हो रहा था। यह राज्य में भविष्य के लिए एक गंभीर विषय बनता जा रहा था। इसी के दृष्टिगत हमने देवभूमि उत्तराखंड में धर्मांतरण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है।
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राज्य सरकार द्वारा धर्मांतरण पर सख्त कानून बनाया गया है। इसमें जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने वालों को 10 साल तक कठोर कारावास का प्रावधान किया गया है जिसमें धर्मांतरण कराने के मामलों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। एकल धर्मांतरण के लिए सजा कम है, जबकि सामूहिक धर्मांतरण में ज्यादा सजा होगी।
सामूहिक धर्मांतरण का दोष साबित होने पर दोषी को तीन से 10 वर्ष की सजा के साथ 50 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। जबकि एक व्यक्ति के धर्मांतरण पर दो से सात वर्ष की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की संस्कृति एवं विशिष्ट पहचान के साथ उसका मूल स्वरूप बचा रहे और प्रदेश में अनावश्यक किसी भी प्रकार का धर्मांतरण न हो पाए, इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा की गई यह महत्वपूर्ण पहल है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मांतरण के साथ ही हमारी सरकार द्वारा देवभूमि में सरकारी भूमि पर किये गये अतिक्रमण को चिन्हित कर उसे सख्ती से हटाये जाने का कार्य किया जा रहा है। राज्य में होने वाले अवैध अतिक्रमण को किसी भी दशा में सहन नहीं किया जायेगा तथा ऐसा कृत्य करने वालों के विरूद्ध नियमानुसार कठोर कार्यवाही की जायेगी।
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