फलस्तीन शहर रामल्ला में भारत के प्रतिनिधि मुकुल आर्य का रविवार को निधन हो गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसकी जानकारी दी। जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि वह रामल्ला में भारत के प्रतिनिधि मुकुल आर्य की मौत की खबर सुनकर दुखी और स्तब्ध हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि मुकुल आर्य प्रतिभावान अधिकारी थे। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।
आर्य के निधन के कारणों के बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। वर्ष 2008 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी मौर्य काबुल और मॉस्को के भारतीय दूतावास में भी सेवाएं दे चुके थे। वह पेरिस में यूनेस्को के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल में भी सेवाएं दे चुके थे। आर्य ने नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में भी कार्य किया था।
फलस्तीन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ने भी मुकुल आर्य के निधन पर शोक जताया है। एक बयान में कहा गया, जैसे ही मुकुल आर्य के निधन की जानकारी मिली, वैसे ही प्रेसिडेंट महमूद अब्बास और पीएम मुहम्मद सतायेह ने सुरक्षाकर्मियों, पुलिस औऱ सार्वजनिक प्रशासनिक एजेंसियों को जरूरी निर्देश दिए। स्वास्थ्य एवं फोरेंसिक सेवाओं के विशेषज्ञों की भी सेवाएं ली गईं और उन्हें भारतीय राजदूत की मौत के मामलों की सघन पड़ताल करने को कहा गया। बयान के अनुसार, ऐसी मुश्किल भरी और आपात परिस्थितियों में जो कुछ भी संभव है, उसको लेकर सभी संबंधित पक्ष पूरी तरह तैयार हैं।
फलस्तीन प्रशासन ने कहा कि वो भारत के विदेश मंत्रालय के संपर्क में है, ताकि मुकुल आर्य के पार्थिव शरीर को भारत भेजा जा सके। फलस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मलीकी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से फोन पर बातचीत की और आर्य के परिवार से भी संपर्क भी साधा गया। आर्य ने दिल्ली यूनिवर्सिटी और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी और फिर बाद में भारत विदेश सेवा में शामिल हुए।