Kathak Dance presented by Divya Goswami in Virasat in Dehradun : गोवा जनजाति के कुनबी लोक नृत्य प्रस्तुत किया

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विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल के ’विरासत साधना’ कार्यक्रम में क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया

  • Kunbi Folk Dance of Goa Tribe in Heritage Dehradun Uttarakhand India

  • विरासत में दिव्या गोस्वामी द्वरा कथक नृत्य (Kathak Dance) प्रस्तुत किया गया

  • ओस्मान मीर के ग़ज़ल और भजन (Bhajans) कि प्रस्तुतियों से झुमें विरासत के लोग

देहरादून: विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के सातवें दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के अंतर्गत क्विज प्रतियोगिता का आयोजन गया जिसमे हिम ज्योति , दून इंटरनेशनल , होराइजन , एस जी आर आर सहस्त्रधारा , मानव भारती, ओलंपस हाई , फिल फोट , ओक ग्रोव , केंद्रीय विद्यालय आई टी बी पी ,कुल 9 स्कूलों के 18बच्चो ने प्रतिभाग लिया, जिसमे प्रतेक स्कूल से दो बच्चो ने साथ में प्रतिभाग लिया। क्विज का आरंभ पहले क्रॉसवर्ड पजल से हुआ जिसमे सभी आए प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें से 4 स्कूलों के बच्चों को चुना गया। स्नेहा पंवार और वंश बहुगणा (मानव भारती) ,अभिनव कुमार और प्रणीत बसु (ओक ग्रोव) ,अर्जुन अग्रवाल और आदित्य भारद्वाज (दून इंटरनेशनल) ,स्नेहा चौहान और दिव्यांचिका ममगाई (फिलफोट) आगे के राउंड के लिए चुने गए।

Kathak dance presented by Divya Goswami in Virasat in dehradun
Kathak dance presented by Divya Goswami in Virasat in dehradun

क्रॉसवर्ड पजल के बाद चार राउंड निर्धारित किए गए जिसमे पहला राउंड में कुल 8 प्रश्न हर टीम से 2 प्रश्न पूछे गए । जिसमे फिलफोट और मानव भारती 15 अंकों से अव्वल रहे। दूसरा राउंड बज्जर राउंड था जिसमे बच्चो से 12 सवाल पूछें गए जिसमे एक बज्जर दबाने और सही जवाब देने पर 10 अंक , दो बज्जर दबाने पर और सही जवाब देने पर 20 अंक , गलत जवाब पर -5 अंक जिसमें मानव भारती 40 अंक से अव्वल रहे। अगला राउंड रैपिड फायर राउंड रहा जिसमे 24 सवाल पूछे गए। हर एक टीम को चार डेक में से एक डेक चुनना था और 6 सवाल के जवाब एक मिनट देने थे,जिसमे दुबारा मानव भारती 60 अंकों से अव्वल रहा। आखिरी राउंड में 8 सवाल सभी टीम से पूछे गए जिसमे ओक ग्रोव स्कूल के बच्चो ने बाजी मारी । आखिर में पहले स्थान पर ओक ग्रोव , दूसरे स्थान पर मानव भारती , तीसरे स्थान पर दून इंटरनेशनल , चौथे स्थान पर फिलफोट स्कूल रहा। संभी विजेता बच्चो को सर्टिफिकेट एवं गिफ्ट हैंपर से सम्मानित किया गया। कविता बिष्ट द्वारा इस कार्यक्रम को होस्ट किया गया।

सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं गोवा जनजाति के कुनबी लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया जो ’कला साम्राज्य, करचोरम, गोवा द्वारा प्रस्तुत किय गया। कुनबी समुदाय ने कुनबी लोक नृत्य को अपना नाम दिया है। यह जनजाति गोवा के साल्सेते तालुका क्षेत्र में पाई जा सकती है। नृत्य सरल होने के साथ-साथ अद्वितीय भी है। यह विभिन्न उत्सव और सामाजिक अवसरों पर किया जाता है। महिलाएं समूह में नृत्य करती हैं और इस नृत्य को करते हुए तेजी से आगे बढ़ती हैं लेकिन वे बहुत ही शालीनता से चलती भी हैं। चरणों की अच्छी तरह से गणना की जाती है और समन्वय प्रभावशाली होता है। चूंकि नृत्य में कोई धार्मिक गीत या गतिविधियाँ शामिल नहीं हैं, इसलिए यह सुरक्षित रूप से माना जा सकता है कि यह केवल मनोरंजन के उद्देश्य से है और केवल महिलाएं ही इस नृत्य में भाग लेती हैं जबकि पुरुष पृष्ठभूमि में वाद्य यंत्र बजाते हैं।

Kathak dance presented by Divya Goswami in Virasat in dehradun
Kathak dance presented by Divya Goswami in Virasat in dehradun

सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम कि अगली प्रस्तुति में दिव्या गोस्वामी द्वरा कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया। दिव्या जी ने आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित गंगा स्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की, “गंगा अष्टकम देवी सुरेश्वरी शंकरी गंगे“ राग भूप में। इसके बाद उन्होंने तीन ताल का प्रदर्शन किया और पंडित बिंददीन महाराज द्वारा रचित लखनऊ घराने के पारंपरिक बंदिश के साथ अपने कार्यक्रम का समापन किया, “प्रगति ब्रज नंदलाल सकल सुखान निधानिया“। उनके साथ तबले पर शुभ महाराज, सारंगी पर आमिर खान, हारमोनियम पर शोएब हसन और पादंत पर सिद्धार्थ भट्टाचार्य ने उनकी संगत दी।

वेदांत के महान हिंदू दार्शनिक स्वामी राम तीर्थ के परिवार में जन्मी दिव्या आज पारंपरिक नृत्य रूपों की जड़ों से जुड़ी एक कलाकार के रूप में खड़ी हैं। प्रबुद्ध रहस्यवादी, गणितज्ञ, योगी, दार्शनिक और लेखक की इस महान वंशावली से ताल्लुक रखने वाली दिव्या का लक्ष्य भारतीय शास्त्रीय कला में इस यात्रा का पूरी निष्ठा के साथ पालन करते हुए, जीवन जीने की इस सर्वोच्च लेकिन सरल कला को आगे बढ़ाना है। वह अपने मामा परिवार, पंजाब के महान शायर-दार्शनिक, पंडित कृपा राम शर्मा ’नाज़िम’ से सीधे वंशज होने के लिए भी धन्य हैं। उनकी रचनाएँ इतिहास, पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता की गहरी समझ में डूबी हुई हैं। इन तेजी से बदलते समय में वह आध्यात्मिक, भावनात्मक और बौद्धिक विकास की अवधारणा को बहुत करीब रखती है, भारतीय शास्त्रीय कलाओं को बहुत मूल में रखती है।

दिव्या को कलानिधि संस्थान, पुणे में गुरु योगिनी गांधी के कुशल मार्गदर्शन में कथक के लखनऊ घराने में दीक्षित दिया गया, जहाँ उन्होंने पंद्रह वर्षों तक सीखा। दिव्या कई वर्षों से लखनऊ घराने के महान उस्ताद, गुरु मुन्ना शुक्ल जी के संरक्षण में सीख रही हैं। लयबद्ध और भावनात्मक दोनों पहलुओं पर अच्छी पकड़ रखने के साथ, वह पंद्रह वर्षों से छात्रों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ प्रदर्शन भी कर रही हैं। उन्होंने भारत और विदेशों में कई संगीत कार्यक्रमों और व्याख्यान प्रदर्शनों में प्रदर्शन किया है। दिव्या को केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रतिष्ठित ’राष्ट्रीय पुरस्कार’ ’उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।

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सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्य प्रस्तुतियों में ओस्मान मीर द्वारा ग़ज़ल और भजन प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने विभिन्न रचनाओं और विविध शैलियों को गाया, उन्होंने कबीर भजन, मन लगो मेरो यार फकीरी में“ से शुरुआत की केसरिया बालम एक भजन जिसे उन्होंने मुरारी बापू के कार्यक्रम “कैलाश के निवासी“ के लिए संगीतबद्ध किया था। उनके निजी एल्बम का एक गीत, है जिंदगी कितनी खूबसूरत … एक सूफी गीत, “ए सखी मंगल“ गाओकृ“ उन्होंने फिल्म “रामलीला“, मोर बनी थान से अपना प्रसिद्ध गीत भी गाया“ जो एक पारंपरिक रचना है। उनके साथ तबला पर अब्दुल और अय्यूब भाई मीर, ढोलक पर हारून भाई, बैंजो पर नज़ीर भाई, कीबोर्ड पर रमीज़ भाई और साइड रिदम पर यूसुफ भाई थे

ओस्मान मीर, एक भारतीय पार्श्व गायक हैं, जिनके गाने मुख्य रूप से हिंदी और गुजराती में हैं। उनकी विशेषज्ञता लोक, भारतीय शास्त्रीय, भजन और ग़ज़ल जैसी शैलियों में निहित है एवं वे तबला वादक भी हैं। उनके पहले गुरु उनके पिता हुसैन मीर थे और बाद में उन्होंने आधिकारिक तौर पर इस्माइलभाई दातार के कुशल मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया। उनके पेशेवर जीवन की यात्रा मोरारी बापू के साथ शुरू हुई वह ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के प्रमाणित कलाकार हैं। फिल्म “रामलीला“ में उनके गीतों के लिए जीआईएमए पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। उन्हें ट्रांसमीडिया, कच्छ शक्ति पुरस्कार, गुजरात राज्य सरकार फिल्म पुरस्कार, गौरववंत- गुजराती पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

कलेक्ट्रेट देहरादून द्वारा सूचित किया गया है कि देहरादून के आसपास रह रहे शहर के लोगों को विरासत देखने के लिए सरकारी बस सुविधा दी जाएगी इन शहरों में ऋषिकेश, हरिद्वार, विकासनगर हरबर्टपुर, सेलाकुई शामिल है।

दिनांक-16 अक्टूबर 2022 के कार्यक्रमों में शाम 7:00 सांस्कृति कार्यक्रम में फोक डांस एवं शाम 8:00 बजे कुमारेश राजागोपालन द्वारा वायलन एवं जयंती कुमारेशन के द्वारा वीणा के जुगलबंदी प्रस्तुत किया जाएया।

Kunbi Folk Dance of Goa Tribe in Heritage Dehradun Uttarakhand India

09 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2022 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।

विरासत 2022 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।


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