Nakshatra Vatika | राष्ट्रपति ने राजभवन में किया नक्षत्र वाटिका का उद्धाटन
महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को उत्तराखण्ड प्रवास के दूसरे दिन प्रातः राजभवन स्थित राज प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के साथ रुद्राभिषेक किया। इसके बाद राष्ट्रपति ने राजभवन स्थित नक्षत्र वाटिका का उद्धाटन किया व पलाश के पौधे का रोपण भी किया।
नक्षत्र वाटिका में 27 नक्षत्रों से संबन्धित 27 पौधों को स्थान दिया गया है जिसमें कुचिला, आंवला, गूलर, जामुन, खैर, अगर, बांस, पीपल, नागकेसर, बरगद, ढ़ाक, पाकड़, चमेली, बेल, अर्जुन, हर श्रृंगार, मौलश्री, सेमल़, साल, सीता अशेक, कटहल, मदार, शमी, कदम्ब, नीम, आम, महुआ पौधे शामिल हैं, जो कि भारतीय आध्यात्म, प्राचीन ज्ञान और प्रकृति संरक्षण का अनूठा मिश्रण है। इस दौरान राज्यपाल लेफ़्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) एवं प्रथम महिला श्रीमती गुरमीत कौर समेत मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, सचिव श्री राज्यपाल डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा मौजूद रहे।
नक्षत्र वाटिका का संक्षिप्त विवरण
आध्यात्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में राजभवन देहरादून में “नक्षत्र वाटिका” की स्थापना की गई है। प्राचीन काल से धरती के ऊपर आकाश को 360 डिग्री में बाँटा गया है। यदि हम 360 डिग्री को 27 भागों में बाँटते हैं तो इसकी प्रत्येक इकाई 13.33 डिग्री (13 डिग्री 20 मिनट ) के रूप में आती है। इस प्रत्येक इकाई का एक नक्षत्र बनाया गया है। अब यदि 360 डिग्री को 12 भागों (राशियों) में बांटते हैं तो प्रत्येक राशि चिह्न 30 डिग्री के रूप होता है। जिससे हम 12 अलग-अलग राशियों के नाम से जानते हैं।
प्रत्येक नक्षत्र को 4 चरण या पाद में समान रूप से विभाजित किया जाता है। इन नक्षत्रों की पहचान आसमान के तारों की स्थिति व विन्यास से की जाती है, जिस प्रकार समुद्र में प्रवाह मान जहाज की स्थिति देशांतर रेखा व्यक्त करती है उसी भांति पृथ्वी के निकट भ्रमण पिण्डों (ग्रहों) की स्थिति नक्षत्रों द्वारा व्यक्त की जाती है। नक्षत्र वाटिका में इन्हीं 27 नक्षत्रों से संबन्धित 27 पौधों को स्थान दिया गया है जो कि भारतीय आध्यात्म, प्राचीन ज्ञान और प्रकृति संरक्षण का अनूठा मिश्रण है।
इन्हीं 27 नक्षत्रों के माध्यम से भारतीय ज्योतिष में नवग्रहों और 12 राशियों की स्थिति और चाल का आंकलन किया जाता है। प्रत्येक ग्रह एवं राशि के लिए भी एक वनस्पति अथवा पौधे की पहचान की गई है। इसीलिये वाटिका में 9 ग्रहों, 12 राशियों से संबधित पौधो तथा त्रिगुणात्मक देव के प्रतीक के रूप में तीन पौधों, कुल 51 पौधों को स्थान दिया गया है। इन नक्षत्रों, ग्रहों तथा राशियों से सम्बन्ध रखने वाले वृक्षों के नाम आयुर्वेदिक, पौराणिक, ज्योतिषीय ग्रन्थों में मिलते है, इन ग्रन्थों में वर्णन है कि जन्म नक्षत्र के वृक्ष की सेवा व वृद्धि करने से मनुष्य का कल्याण होता है।
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ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके नक्षत्र एवं राशि से सम्बन्धित पौधे को लगाकर उसकी देखभाल करनी चाहिए। यह भी माना जाता है कि यह सभी वृक्ष प्रजातियाँ अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन प्रदान करती हैं और इसलिए इन वृक्षों के पास बैठने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। इन वृक्षों की प्रजातियाँ एंटीऑक्सीडेन्ड, फ्लेवोनोइड, तारपीन व टैनिन नामक द्वितीयक चयापचयों (Secondary metabolites) से समृद्ध हैं और इनका प्रयोग पारम्परिक उपचार प्रणालियों में व्यापक रूप से किया जाता है। राजभवन नक्षत्र वटिका के रूप में इन प्रजातियों के संरक्षण से जैव विविधता को समृद्ध करने की अनुपम पहल है।
The President inaugurated the Nakshatra Vatika located at Raj Bhavan and planted the sapling of Palash
Her Excellency President Mrs. Draupadi Murmu performed Rudrabhishek on Friday, the second day of her stay in Uttarakhand, at the Raj Prajneshwar Mahadev Temple at Raj Bhavan with duly worshipped. After this, the President inaugurated the Nakshatra Vatika located at Raj Bhavan and also planted the sapling of Palash.
In Nakshatra Vatika, 27 plants related to 27 constellations have been given place, in which Kuchila, Amla, Gular, Jamun, Khair, Agar, Bamboo, Peepal, Nagkesar, Banyan, Dhak, Pakad, Chameli, Bell, Arjun, Har Shringar, Maulshri, Semal, Sal, Sita Ashek, Jackfruit, Madar, Shami, Kadamba, Neem, Mango, Mahua plants, a unique blend of Indian spirituality, ancient wisdom and nature conservation. During this, Chief Minister Shri Pushkar Singh Dhami, Secretary to Governor Dr. Ranjit Kumar Sinha along with Governor Lieutenant General Gurmeet Singh (Retd) and First Lady Mrs. Gurmeet Kaur were present.
Brief description of Nakshatra Vatika
“Nakshatra Vatika” has been established at Raj Bhavan Dehradun as a symbol of spiritual, natural and cultural heritage. Since ancient times, the sky above the earth has been divided into 360 degrees. If we divide 360 degree into 27 parts then each of its units comes in the form of 13.33 degree (13 degree 20 minutes). A constellation has been made of each of these units. Now if 360 degrees are divided into 12 parts (signs), then each zodiac sign is of 30 degrees. Due to which we know by the names of 12 different zodiac signs.
Each Nakshatra is divided equally into 4 Charanas or Padas. These Nakshatras are identified by the position and configuration of the stars in the sky, just as the longitude line expresses the position of a ship moving in the sea, in the same way, the position of the moving objects (planets) near the Earth is expressed by Nakshatras. In Nakshatra Vatika, 27 plants related to these 27 constellations have been given place, which is a unique blend of Indian spirituality, ancient knowledge and nature conservation.
Through these 27 Nakshatras, the position and movements of the nine planets and 12 zodiac signs are assessed in Indian astrology. A vegetable or plant has also been identified for each planet and zodiac sign. That is why in the Vatika, plants related to 9 planets, 12 zodiac signs and three plants as the symbol of the triple god, a total of 51 plants have been given a place. The names of the trees related to these Nakshatras, planets and zodiac signs are found in Ayurvedic, mythological, astrological texts, it is described in these texts that by serving and increasing the tree of the birth constellation, a person gets welfare.
It is believed that every person should plant a plant related to his Nakshatra and Rashi and take care of it. It is also believed that all these tree species provide more oxygen than other species and hence positive energy is generated by sitting near these trees. The species of these trees are rich in secondary metabolites called antioxidants, flavonoids, turpentine and tannins and are widely used in traditional healing systems. Conservation of these species in the form of Raj Bhavan Nakshatra Vatika is a unique initiative to enrich biodiversity.