Nirankari Sant Samagam| स्वैच्छिक सेवाओं का शुभारम्भ- महाराष्ट्र का 56वां वार्षिक निरंकारी संत समागम औरंगाबाद में
औरंगाबाद: महाराष्ट्र के 56वें वार्षिक निरंकारी संत समागम (Nirankari Sant Samagam) का भव्य आयोजन निरंकारी मिशन की प्रमुख, सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन सान्निध्य में दिनांक 27, 28 एवं 29 जनवरी, 2023 को औरंगाबाद के बिडकीन दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडॉर के विशाल मैदान में होने जा रहा है। इस समागम की तैयारियों के अंर्तगत दिनांक 25 दिसम्बर, 2022 दिन रविवार को ‘स्वेच्छा सेवाओं’का उद्घाटन परम् आदरणीय श्री मोहन छाबड़ा मेम्बर इंचार्ज ब्रांच प्रशासन, संत निरंकारी मंडल के करकमलों द्वारा किया गया।
इस उद्घाटन समारोह का शुभारंभ सतगुरू माता जी व निरंकार प्रभू के चरणों में समागम की सफलता के लिए प्रार्थना एवं वंदना के रूप में किया गया। इस समारोह में दिल्ली से संत निरंकारी मंडल के मेम्बर इंचार्ज, वित्त और लेखा जोखा विभाग श्री जोगिंदर मनचंदा जी, समागम समिति के चैयरमेन, समन्वयक एवं अन्य सदस्य तथा महाराष्ट्र के विभिन्न जोनों के प्रभारी और सेवादल के क्षेत्रीय संचालक व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इसके अतिरिक्त औरंगाबाद और आसपास के इलाकों एवं मुंबई तथा महाराष्ट्र के अन्य विभागों से हजारों की संख्या में निरंकारी सेवादल के सेवक एवं अन्य श्रद्धालु भक्त सम्मिलित हुए। उद्घाटन के अवसर पर अपने शुभ भाव व्यक्त करते हुए पूज्य श्री मोहन छाबड़ा जी ने कहा कि संत निरंकारी मिशन सत्य, प्रेम, शांति, मानवता एवं भाईचारे का मिशन है। Nirankari Sant Samagam
मिशन का यह दिव्य सन्देश प्रसारित करके मानव को मानव से जोड़ने का कार्य ऐसे समागमों के माध्यम से किया जाता है। पुरातन समय से संतों, गुरुंओं, पीरों, पैगम्बरों का जो आध्यात्मिकता और मानवता का सन्देश दिया जा रहा है वही सन्देश आज वर्तमान सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज सारे संसार में दे रहे हैं। इस समागम का यही मुख्य उद्देश्य है।
‘रूहानियत एंव इन्सानियत’ के कल्याणकारी संदेश को सभी जन मानस तक पहुंचाना ही इस संत समागम का उद्देश्य है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व महाराष्ट्र के वार्षिक निरंकारी संत समागमों की श्रृंखलाओं का निरंतर आयोजन मुम्बई महानगर परिक्षेत्र में किया जाता रहा है जबकि 53वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का आयोजन महाराष्ट्र के नासिक शहर में हुआ।
बीते दो वर्षो में कोविड-19 महामारी के कारण यह दिव्य संत समागम वर्चुअल रूप में आयोजित किया गया जिसे सभी भक्तों ने प्रभु की रजा समझकर सहज भाव में स्वीकार किया और घर बैठे हुए ही संत समागम का आनंद प्राप्त किया। आनंद की इसी अनुभूति को पुनः जागृत करने हेतु इस वर्ष का 56वां वार्षिक निरंकारी संत समागम पूरी भव्यता एंव विशालता के साथ महाराष्ट्र के औरंगाबाद में आयोजित किया जा रहा है जिसका संपूर्ण निरंकारी जगत साक्षी बनेगा।
हाल ही में समालखा में आयोजित 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के उपरांत से ही हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रत्येक भक्त को बेसब्ररी से महाराष्ट्र के निरंकारी संत समागम की प्रतीक्षा रहती है। इस वर्ष भी 56वें वार्षिक निरंकारी संत समागम में प्रत्येक श्रद्धालु भक्त अपनी पलके बिछाए हुए हर्षोल्लास के साथ सम्मिलित होकर स्वयं को कृतार्थ करने हेतु अति उत्सुक है।
सत्गुरू माता जी की पावन अध्यक्षता में होने वाले इस दिव्य संत समागम का भरपूर आनंद प्राप्त करने के लिए समूचे देश एवं विदेशों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु एवं भक्तगण सम्मिलित होंगे। समागम स्थल पर प्रतिदिन अनेक महात्मा, सेवादल के भाई-बहन और भक्तजन अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे।
इस दिव्य संत समागम को पूर्णतः सफल बनाने हेतु निरंकारी सेवादल के स्वयंसेवक एंव बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए श्रद्धालु भक्त लगन एवं तन्मयता के साथ तैयारियों में लगे हुए है। कुछ ही सप्ताह में संपूर्ण समागम स्थल को सुंदर शामियानों की नगरी में स्थापित कर दिया जायेगा जिसमें भक्तों के लिए रिहाईश व्यवस्थाओं के अतिरिक्त, उनके लिए जलपान एवं मूलभूत सुविधाओं का उचित प्रबंध प्रशासन एवं अधिकारियों के सहयोग द्वारा किया जा रहा है।
साथ ही समागम स्थल पर विभिन्न प्रबंधन कार्यालय, प्रकाशन स्टाल, प्रदर्शनी, लंगर, कैन्टीन एवं डिस्पेन्सरी की समुचित सुविधाएं भी उचित रूप से उपलब्ध कराई जा रही है। उल्लेखनीय है कि समागम के कार्यक्रम की पूरी योजना, डिजाईनिंग एवं क्रियान्वयन निरंकारी भक्तों द्वारा निभाई जाती है। Nirankari Sant Samagam
इन सेवाओं को सभी भक्त अपना सौभाग्य मानते हुए, सत्गुरु के आशीर्वाद रूप में प्राप्त करते हुए अपने लिए सुअवसर मानते है और प्रसन्नतापूर्वक निभाते है। आयोजकों का विश्वास है कि आध्यात्मिकता के महाकुंभ का अनुपम दृश्य प्रदर्शित करने वाला यह दिव्य संत समागम हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सभी भक्तों के लिए प्रेरणादायी एवं आनंददायक होगा।