Phool Dehi Nainital Uttarakhand | फुलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार…

Spread the love

Phool Dehi Nainital Uttarakhand | फुलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार…

Phool Dehi Nainital Uttarakhand, nainital, phool dei festival uttarakhand in hindi, nainital tour, #phool dehi chhamaa dehi_, nainital tourism, nainital tourist, snowfall nainital, nainital tour plan, nainital tour guide, phool dei festival uttarakhand status, nainital uttarakhand, nainital tour packages, nainital tourist places, heavy snnowfall nainital, phool dehi chamma dehi, phool dei, phool dei festival, phool dhei uttarakhand festival, phoola deyie, burash ke phool, red light area in delhi ncs, buransh, buransh ka phool, buraansh ka phool, buransh ka phool ka chatni, burash ke phool, buransh ka phool garhwali song, buranshi fool, phool dei festival, buransh juice benefits, phoolige buranshi fool, buraansh ka fool, buransh plant, buransh films, buransh ka ped, buransh juice, buransh flower, buransh ka jush, buransh ka chai, buransh ka juice, phool sankranti, how to make buransh juice, buransh wikipedia, buransh ka chutney, buransh uttarakhand

यह देहरी फूलों से भरपूर और मंगलकारी हो ,सबकी रक्षा करे और घरों में अन्न के भंडार कभी खाली न होने दे)  के स्वागत की परम्परा विश्व के सभी मानवीय समाजों में पाई जाती है। अंग्रेजी न्यू ईयर डे , तिब्बत का लोसर उत्सव ,पारसियों का नबरोज या हिंदू संस्कृति की चैत्र प्रतिपदा। फूलदेइ पर्व में देवतुल्य बच्चों द्वारा प्रकृति के सुन्दर फूलों से नव संवत्सर से पूर्व उसका भव्य स्वागत किया जाता है.

चैत्र की संक्रांति पर उत्तराखंड में इस लोक पर्व को मनाया जाता है तथा इसी दिन बच्‍चों द्वारा घरों की देहरी जिसे देली भी कहते को फूलों से सजाया जाता है। घर की चौखट का पूजन करते हुए ‘फूलदेई छम्मा देई’ से मंगलकामना की जाती है। इस लोक पर्व में पड़ोस के बच्‍चों की भूमिका महत्वपूर्ण है।लोक पर्व फूलदेई फूलों की बहार के साथ ही नव वर्ष के आगमन तथा बसंत का भी प्रतीक है।

https://vidiq.com/certificates/7iiOsfjmAT

सूर्य उगने से पहले फूल चुनने की परंपरा में वैज्ञानिक पक्ष है, कि सूर्योदय पर भंवरे फूलों पर मंडराने लगते हैं, जिसके बाद परागकण एक फूल से दूसरे फूल में पहुंच जाते हैं और बीज बनने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है। अच्छी पैदावार और उन्नत किस्म के बीज प्राप्त करने के लिए परागण जरूरी है जो जीवन के संघर्ष को कम करने के लिए कुछ फूलों को पौधों से अलग कर दिया जाता है । फूलदेई का त्योहार खुशी बाटने के साथ ही प्राकृतिक संतुलन का त्योहार भी है जहा इस मौसम में हर तरफ फूल खिले होते हैं, फूलों से ही नव जीवन का सृजन होता है। चारों तरफ फैली इस बसंती बयार को उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

The Pandawaz | योग महोत्सव के छठे दिन हुई नारी शक्ति द्वारा योग के विस्तार पर चर्चाएं

और ग्रीष्म ऋतु के बीच का खूबसूरत मौसम, फ्यूंली, बुरांश और बासिंग के पीले, लाल, सफेद फूल और बच्चों के खिले हुए चेहरे… ‘फूलदेई’ की ये पहचान है जो, नए फूलो के खिलने का संदेश भी लाता है । लोक जीवन से जुड़े होने का यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करता है तथा संरक्षण का संदेश देता है। ‘फूलदेई’ ,चैत संक्रांति पर तापक्रम बढ़ने से ऊंची पहाड़ियों से बर्फ पिघल जाती है, सर्दियों के मुश्किल दिन कम हो जाते हैं, उत्तराखंड के पहाड़ बुरांश के लाल फूलों से लाल नजर आते हैं, तब देश तथा प्रदेश की खुशहाली के साथ प्रकृति एवम मानव की खुशहाली लिए फूलदेई का त्योहार संदेश लाता है जिसमें किशोरी लड़कियों और छोटे बच्चों का उत्साह अधिक शामिल रहता है।

बदलते समय के साथ

तथा लोक जीवन से जुड़े लोक पर्व आज भी मानव को सचेत करते है की परंपराओं का निर्वहन प्रकृति के साथ मानव को जोड़ता है तथा जीवन के सतत विकास को प्रेरित करता है।

फूल , चावलों ,गुड से सजी थाली घर की मुख द्वार देहरी, पर चावल एवम फूल डालकर लड़कियां उस घर की खुशहाली की दुआ मांगती हैं। फूलदेई, छम्मा देई…जतुकै देला, उतुकै सही…दैणी द्वार, भर भकार।यह लोक जीवन को प्रकृति से जोड़ने का कार्य करता है।।(चैत) का महीना जिसे हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र प्रतिपदा नववर्ष कहा जाता है। इस चैत के महीने में उत्तराखंड के जंगलो में कई प्रकार के फूल खिलते है जो मनमोहक व सुंदर होते है

Ritu Mass ऋतु-मास सूर्य पूर्णमासी एवम अमावस्या तिथि को विशेष महत्व

कुजु ,फ्योलि, बुरांस, बासू, डंडोलि, गुर्याल, बिराली, लई, माल्टा, हिन्सर, किंगोड, पुलम ,आरु, खुमानी इस प्रकार कई प्रजाति के फूल और फल इस महीने में खिलते है। खूबसूरत मौसम, फ्यूंली, बुरांश और बासिंग के पीले, लाल, सफेद फूल और बच्चों के खिले हुए चेहरे ” फूलदेई “ की खुशी है जो प्रेम बाटने का काम करती है। फूलदेई से ही कुमाऊं में बहनों के प्रति मायके के स्नेह की भिटोली शुरू की जाती है जो फिर समाज को जोड़ने का काम करती है ।

IPRS म्यूजिक कॉपीराइट सोसायटी के रूप में भविष्य को सँवारने की राह पर आगे बढ़ रहा है

बर्फ पिघलने से प्रकृति में नई ऊर्जा का समावेश होता है प्रकृति को ईश्वर की देन माना जाता है इसलिए इन फूलों को ईश्वर को समर्पित किया जाता है और जिस प्रकार सुंदर व सुगंधित फूल मन को प्रसन्न कर देते है उसी प्रकार इन फूलों के माध्यम से सारा वातावरण प्रसन्न व सुगंधित किया जा सके । उत्तराखंड की सुंदर पर्यावरण , संस्कृति व परंपरा है, पलायन से लोग शहरों में बस चुके हैं और फुुुुलदेेेेई (फुलारी) व संक्रांत से जुड़ी हमारी यह संस्कृति भी उन बंद घरों के साथ कही अंधेरो में लुप्त होती जा रही है। आओ मिलकर फूलदेई मनाए प्रकृति का प्रेम बाटे लोक पर्व का आनंद ले।

प्रो ललित तिवारी


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Nissan Magnite 2023 | एसयूवी की कीमत लॉन्च के बाद से निसान मैग्नाइट चार महीने में तीसरी बार बढ़ी Motorola G82 5G 8GB 128GB TELEPHONE SHOPPEES घर-घर, आंगन आंगन योग Yoga Free Training | शरीर की सुरक्षा के लिए वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का प्रशिक्षण देकर 21 मई से 21 जून तक निःशुल्क योग शिविरों का आयोजन Mahila Svayam Samuh Uttarakhand | उत्तराखण्ड की महिला स्वयं समूहों Aao Ham Sab Yog Karen | आओ हम सब योग करें विश्वविद्यालय में एक माह का योग अभियान शुरू -जानिए खबर Film Lemon Tree | फिलिस्तीनी विधवा सलमा ज़िदान अपने नींबू के बाग में काम करती अंतर्राष्ट्रीय मूवी “लेमन ट्री” दून के लोगों को दिखाई गई Mother’s Day celebrated Polly Kids | जमकर झुमे नन्हे-मुन्हें बच्चों के माता-पिता; द पोली किड्स के विभिन्न शाखाओं ने मदर्स डे मनाया IIT Roorkee | सराहनीय आईआईटी रुड़की; विकास को गति देने और ‘लोकल से ग्लोबल’ के उद्देश्य को साकार करने में कर रहा है मदद