RIP Raju Srivastav -श्री राजू श्रीवास्तव अभिनेता के निधन पर सीएम धामी किया शोक व्यक्त
देहरादून। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रसिद्ध हास्य अभिनेता श्री राजू श्रीवास्तव जी (RIP Raju Srivastav ) के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में किशाऊ बांध बहुद्देशीय परियोजना पर आयोजित बैठक में प्रतिभाग किया। बैठक में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने वर्चुअल प्रतिभाग किया।
बैठक में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने परियोजना के संबंध में अपने-अपने राज्य का पक्ष रखा।
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RIP Raju Srivastav: श्री राजू श्रीवास्तव अभिनेता के निधन पर सीएम धामी किया शोक
मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि परियोजना डीपीआर की लागत बढ़ने की दशा में विद्युत घटक लागत को स्थिर रखा जाए अथवा बढ़ी हुई विद्युत घटक लागत को अन्य चार लाभार्थी राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली द्वारा वहन किया जाए। ताकि राज्य के उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर विद्युत आपूर्ति उपलब्ध हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राष्ट्रीय परियोजना, उत्तराखण्ड के विकास हेतु मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि परियोजना विकास की अवधि में स्थानीय निवासियों व ग्रामीणों को आय वृद्धि के विभिन्न संसाधन यथा स्थाई व अस्थाई रोजगार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध होंगे। क्षेत्र के विकास व जनकल्याण हेतु समय- समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से क्षेत्र विशेष हेतु लाभप्रद योजनाएं विकसित की जाएगी, जिससे पलायन की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकेगा।
RIP Raju Srivastav: श्री राजू श्रीवास्तव अभिनेता के निधन पर सीएम धामी किया शोक
केंद्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज की बैठक में उठाए गए बिंदुओ पर विचार विमर्श कर जल्द ही अगली बैठक आयोजित की जाएगी।
गौरतलब है कि किशाऊ बहुउद्देशीय बाँध परियोजना के क्रियान्वयन का कार्य उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम किशाऊ कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना को फरवरी 2008 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है। किशाऊ बाँध परियोजना एशिया का दूसरी सबसे बड़ी बाँध परियोजना होगी। जिसे इसकी ऊंचाई 236 मीटर एवं लम्बाई 680 मीटर होगी। किशाऊ परियोजना उत्तराखण्ड राज्य के जनपद देहरादून एवं हिमाचल प्रदेश के जनपद सिरमौर में टोंस नदी पर प्रस्तावित है, इसमें 1324 एम0सीए०एम० जीवत भण्डारण द्वारा 97076 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई, 617 एम०सी०एम० पेयजल एवं औद्योगिक उपयोग हेतु जल प्राप्त होगा, जिससे तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान की सिंचाई आवश्यकता तथा दिल्ली की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति की जा सकेगी, साथ ही साथ 660 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन होगा, जिससे 1379 एम०यू० हरित विद्युत ऊर्जा प्राप्त होगी जो कि उत्तराखण्ड व हिमाचल प्रदेश को बराबर-बराबर प्राप्त होगी।
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केन्द्रीय जल आयोग द्वारा परियोजना की कुल लागत मार्च, 2018 के मूल्य स्तर के अनुसार रू० 11550 करोड़, जिसमें जल घटक की लागत रु. 10013.96 करोड़ एवं विद्युत घटक की लागत रु. 1536.04 करोड़ आंकी गई है। वर्तमान में परियोजना की डीपीआर का कार्य प्रगति पर है, जिसमें परियोजना की लागत बढ़ने का अनुमान है। राष्ट्रीय परियोजना होने के दृष्टिगत परियोजना के क्रियान्वयन हेतु जल घटक लागत (सिंचाई एवं पीने का पानी) का 90 प्रतिशत वित्तीय पोषण भारत सरकार द्वारा एवं 10 प्रतिशत वित्तीय पोषण लाभार्थी राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा तथा विद्युत घटक लागत को उत्तराखण्ड व हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से बराबर-बराबर वहन किया जाना है। बैठक में उत्तराखण्ड से सचिव श्री आर मीनाक्षी सुन्दरम, श्री हरि चंद्र सेमवाल व जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।
हिन्दी भाषा का महत्व
हिन्दी भाषा का महत्व इसके सरल उच्चारण के कारण है क्योंकि यह भाषा उच्चारण के अनुसार ही लिखी जाती है। इस भाषा में उर्दू, फारसी भाषाओं के शब्द भी मिलाए गए हैं जो इसमें चार चांद लगा देते हैं। कुछ साल पहले भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने कहा था।
निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा के ज्ञान के मिटत न हिय के शूल
उनके कहने का तात्पर्य है कि बिना राष्ट्रभाषा के मनुष्य की उन्नति नहीं हो सकती और इस भाषा के ज्ञान के बिना व्यक्ति किसी अन्य प्राचीन भाषा का ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता।
परन्तु दुख की बात तो यह है कि आजकल हिन्दी का सीखना कम महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, व्यवसाय और प्रशासन के सभी ज्ञान ज्यादातर अंग्रेेजी मंेे उपलब्ध है। हमें यह समझना चाहिए कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है और हमें इसे अन्य भाषाओं के जैसे ही सीखना और बोलना है। हमारी आजादी के साठ साल से अधिक समय के बाद भी हिन्दी अंग्रेेजी का स्थान नहीं ले पाई है तो अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे महत्व के स्थान पर बहाल करें क्योंकि- सौंधी है सुगंध मीठी सी भाषा गर्व से कहो, हिन्दी है हमारी भाषा…