Sajan Mora Ghar | साजन मोरा घर | बेजोड़ ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह का देहरादून से क्या रिश्ता था

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विरासत के लोगों को ‘साजन मोरा घर (Sajan Mora Ghar), एवं “कजरी बरसन लागी बदरिया“ के घुन से नंदिनी शंकर ने किया मोहित

देहरादून: विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के 9वें दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के अंतर्गत राजेश बादल द्वारा जगजीत सिंह की देहरादून में याद’ पर  विरासत का सालाना जलसा’ रखा गया। जिसमें राजेश बादल जी ने जगजीत सिंह के जीवन यात्रा के बारे में बताया।

  • विरासत में जगजीत सिंह की देहरादून में याद  ’कहां तुम चले गए ’विरासत का सालाना जलसा’ आयोजित किया गया
  • विरासत के सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में निर्भय सक्सेना द्वारा हिंदुस्तानी वोकल संगीत कि प्रस्तुतियां दी गई

राजेश बादल जी बताते है बेजोड़ ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह का देहरादून से क्या रिश्ता था ? हममें से ज़्यादा लोग नहीं जानते, इकलौते जवान बेटे विवेक की मौत ने उनको तोड़ दिया था, वे जब भी कोई शो करते, उसमें विवेक को ज़रूर याद करते और गाते ,कहां तुम चले गए …..और ऐसा ही एक दिन उनकी ज़िंदगी में भी आया ,जब उन्होंने विवेक के पास जाने का फ़ैसला कर लिया। वह शहर देहरादून ही था जब वे बीस सितंबर ,2011 की शाम को देहरादून में रूंधे गले से दस मिनट तक यही गाते रहे , कहां तुम चले गए …. सुनने वाले भी उनके साथ आंसू बहा रहे थे।  इस शो के बाद जगजीत लौट गए। वे मुंबई पहुंचे और कोमा में चले गए फिर कभी होश में नही आए और करोड़ों दीवानों को बिलखता छोड़ गए। राजेश बादल आगे बताते है कैसे जगजीत सिंह जी ने अपने जीवन में संघर्ष किया और उनके कुछ दोस्तो ने कैसे उन्हें मुंबई में रहने और कुछ करने के लिए प्रेरित करते रहे एवं जब जरूरत पड़ती उन्हें उनके गावं के दोस्त मदद करते थे।

ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह का देहरादून से रिश्ता था
ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह का देहरादून से रिश्ता था

उन्होंने बताया कि कैसर जगजीत सिंह समाज के प्रति अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन करते थे एवं जरूरत पड़ने पर लोगों की मदद करत थे। देहरादून को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उनका अपने मित्र वैद्य जी इलाज करते थे एवंज ब भी वे देहरादून आते थे तो वे देहरादून के आस पास हरे भरे पेड़ों के बीच चलना पसंद करते थे और देहरादून उनके दिल में हमेशा धड़कता रहा।

श्री राजेश बादल एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और उन्हें पत्रकारिता क्षेत्र में 46 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने प्रिंट मीडिया में नवभारत टाइम्स और रविवार जैसे प्रकाशनों के साथ अपना करियर शुरू किया और रेडियो, टेलीविजन, फिल्म और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म तक का सफर किया है। अपने लंबे करियर में उन्होंने स्वदेशी, आज तक, वॉयस ऑफ इंडिया, दूरदर्शन, राज्यसभा टीवी और कई अन्य चैनलों के साथ काम किया।

साजन मोरा घर (Sajan Mora Ghar)

वे एक विशेष संवाददाता होने से लेकर एक संपादक, मुख्य संपादक, कार्यकारी निदेशक आदि होने की चुनौतियों का सामना किया। राजेश बादल एक समर्पित होने के साथ-साथ उन्होंने करंट अफेयर्स, विज्ञान, शिक्षा और जीवनी को कवर किया। उन्हें 1977 के चुनावों, भोपाल गैस त्रासदी, नेपाल और कश्मीर में भूकंप, सुनामी और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के समाचारों की गहन कवरेज के लिए जाना जाता है।

श्री बादल विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता, पाठ्यचर्या सलाहकार और बोर्ड के सदस्य के रूप में कई विश्वविद्यालयों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने अनगिनत लेखों और पुस्तकों का लेखन और सह-लेखन किया है और श्री जगजीत सिंह पर 5 घंटे की मैराथन फिल्म सहित कई फिल्मों और वृत्तचित्रों का निर्माण किया है। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान, राष्ट्रीय राजेंद्र माथुर सम्मान, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता पुरस्कार जैसे कई पुरस्कार मिले हैं एवं महान गायक जगत सिंह पर उनकी नवीनतम पुस्तक को अत्यधिक सराहा गया है।

सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं निर्भय सक्सेना द्वारा हिंदुस्तानी वोकल संगीत कि प्रस्तुतियां दी गई। उन्होंने अपने प्रस्तुतियां का आरंभ राग कमोद विलंबित में “मति मलिनिया“उसके बाद छोटा ख्याल द्रुत बंदिश एवम मध्यलय में “तोरे जाने ना दूंगी“। राग सोहनी में एक तराना एवम अंत में एक दादरा “तुम बिन मोरा जिया नही लागे“से प्रस्तुति का समापन किया। उनकी संगत में उनका साथ जाकिर ढोलपुरी (हारमोनियम),मिथलेश झा (तबला),कन्हिया बहिती (तानपुरा), योगेश (तानपुरा) पर दिया।

निर्भय सक्सेना ग्वालियर में एक संगीत परिवार में पैदा हुए, निर्भय ने अपने पिता श्री से कम उम्र में संगीत सीखना शुरू कर दिया था। राधेश्याम सक्सेना बाद में उन्होंने उमेश कम्पोवाले सं  7 वर्षों तक शास्त्रीय गायन का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

उन्हें अगस्त 2011 में आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी, कोलकाता में एक कनिष्ठ विद्वान के रूप में चुना गया और श्री ओंकार दादरकर से प्रशिक्षण प्राप्त किया। अब वह आईटीसी एसआरए में एक वरिष्ठ विद्वान हैं, जिन्हें पद्मश्री पंडित उल्हास काशलकर द्वारा उचित गुरुशिष्य परंपरा के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्हें आईटीसी एसआरए में गुरुशिष्य परंपरा में बनारस घराने के प्रमुख पद्मविभूषण विदुषी गिरिजा देवी से ठुमरी, होली, चैती, कजरी, दादरा और टप्पा की पूरब-अंग गायकी की तालीम लेने का भी सौभाग्य मिला है।

आईटीसी एसआरए में अपने प्रशिक्षण के साथ, निर्भय ने कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पूरी की, इंदिरा कला विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन संगीत में कोविद (8 वर्ष का डिप्लोमा) प्राप्त किया और संगीत में एमए पूरा किया। वे वर्ष 2009 के लिए प्रतिष्ठित बाल श्री पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं और उन्हें संस्कृति मंत्रालय से युवा कलाकार के लिए 2 साल (2014-16) की अवधि के लिए छात्रवृत्ति भी मिली है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्य प्रस्तुतियों में नंदिनी शंकर द्वारा वायलिन वादक कि प्रस्तुतियां दी गई। जिसमें उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और फ्यूजन का एक अनोखा मिश्रण प्रस्तुत किया एवं उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति राग जोग में विलंबित एक ताल , मध्यलय में एक बंदिश “ साजन मोरा घर“ एवं “कजरी बरसन लागी बदरिया“ प्रस्तुत किया एवं अंत में राग भैरवी में एक ठुमरी नैना मोरे से अपनी प्रस्तुति का समापन किया। उनकी संगत में शुभ महाराज की जबरदस्त जुगलबंदी देखने को मिली।

नंदिनी शंकर एक भारतीय वायलिन वादक हैं जो हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और फ्यूजन का प्रदर्शन करती हैं। वह संगीता शंकर की बेटी और प्रसिद्ध वायलिन वादक पद्मभूषण एन. राजम की पोती हैं। शंकर ने 3 साल की उम्र में अपना प्रशिक्षण शुरू किया और 8 साल की उम्र में अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन उन्होंने दिया। वे 13 साल की उम्र में अपना पहला पूर्ण एकल प्रदर्शन दिया। नंदिनी शंकर  गायकी आंग में वायलिन बजाती है। वे एक प्रमाणित चार्टर्ड एकाउंटेंट भी है।

Sajan Mora Ghar Ghazal singer Jagjit Singh Nandini Shankar fascinated by the mites of Virasat in Sajan Mora Ghar and Kajari Barsan Lagi Badaria
Sajan Mora Ghar

शंकर ने 2016 में कार्नेगी हॉल में परफॉर्म किया एवं वे संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ-साथ कनाडा, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड, हंगरी, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, मलेशिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया और सिंगापुर मे भी अपनी प्रस्तुतियां दी है।

09 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2022 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।

इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और  हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है। विरासत 2022 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।


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