Art and Craft Workshop was organized under ‘Virasat Sadhna’ program on the 6th day of Virasat Art and Heritage Festival 2022
- Workshops like Madhubani Art, Clay Modelling, Rangoli Making, Chocolate Making, Appan were organized in Virasat
- Shakir Khan and Ashwini won the hearts of people with their performance in the legacy of classical music
Dehradun: The sixth day of the Virasat Art and Heritage Festival 2022 began with the program ‘Virasat Sadhana’. Art and Craft Workshop was organized under the ‘Virasat Sadhna’ program in which many foundation and school children of Shakir Khan Dehradun participated. In this, 5 different types of art workshops were organized. Under which workshops like Madhubani Art, Clay Modelling, Rangoli Making, Chocolate Making, Appen were organized.
11 specially-abled children of Latika Group Foundation participated in Madhubani painting workshop which was conducted under the leadership of Dr. Prasoon Kumar, in which he taught a beautiful figure by mixing the figure of peacock and fish. 20 children of Army Public School (Clemente Town) participated in clay modeling in which they were taught to make turtle from clay which was taught by Aditi and Ajay.
After that the children of Army Public School also participated in the Apen Workshop which was conducted under the leadership of Babita Nautiyal, in which she told the children about the holy symbol and also taught them to make. 7 specially-abled children from Raphael Rider Cheshire International Center participated in Rangoli making which was led by Mukesh Kumar. At the same time, Raphael’s specially-abled children also participated in chocolate making, in which they learned to make chocolates of different tastes and after making, they themselves assessed the chocolate made by tasting it. Shakir Khan
The cultural evening program started with lamp lighting and classical music was presented by Shakir Khan in which he started his performance with Raga Bageshwari. First he started with alap, then delayed and finally he concluded the performance with a folk song. In his accompaniment gave his accompaniment in his performance on Shubh Maharaj (Tabla). Shakir Khan said this is his first performance in the legacy and where his mentors told him that ‘the best performance is to present your well learned art and music on stage in a good way’.
Shakir Khan is one of the most promising young exponents of the great Etawah gharana, who follows in the musical footsteps of his eccentric father and mentor – sitar maestro Ustad Shahid Parvez Khan. Shakir represents the eighth generation link in the unbroken chain of musical genius, the sitar and surbahar tradition. His gharana includes the musical legacy of Ustad Aziz Khan Sahab, Surbaharist Ustad Wahid Khan Sahab and the great Ustad Vilayat Khan Sahab.
Shakir Khan and Ashwini won the hearts of people on the beats of classical music | Shakir Khan and Ashwini won the hearts of people on the beats of classical music
Shakir Khan and Ashwini won the hearts of people on the beats of classical music | Shakir Khan and Ashwini won the hearts of people on the beats of classical music
He had his first public appearance at the young age of eleven. Under his father’s tutelage, Shakir has gradually matured through studies, riyaaz and singing and has given stellar performances for prestigious music conventions in India including the Dover Lane Sangeet Sammelan (Kolkata), Sawai Gandharva Music Festival Pune.
Along with Saptak Sangeet Festival (Ahmedabad), Bombay Festival (Mumbai), Tansen Sangeet Samaroh (Gwalior), Shankarlal Sangeet Samaroh (Delhi) he has performed extensively around the world including the US, Canada and Europe. He has also won the Government of India Merit Scholarship and First Prize in the All India Radio Music Competition. Shakir Khan stands out for his excellent understanding of Sur (melody) and Laya (rhythm).
Other presentations of the cultural program included the introduction of classical music by Ashwini in Raga Bhupali and its lyrics were Rupak Taal Vabos “Ab Maan Le…” followed by the middle take, “Itanu Joban Par Maan Nahi Karen” in her next performance in Raga Paraj. There was a bandish, “Pawan Chalat Ali Ki Parkri” and culminated in a quick teen taal with a tarana. He was accompanied by Rutuja Lad on vocals, Pt Mithilesh Jha on tabla and Paromita Mukherjee on harmonium.
Ashwini Bhide is a Hindustani classical music singer from Mumbai. She belongs to the tradition of Jaipur-Atrauli Gharana. Born in Mumbai to a family with a strong musical tradition, Ashwini began her classical training under Narayanrao Datar, the elder brother of violinist DK Datar. Then he completed his music career from Gandharva Mahavidyalaya. Since then she has been learning music in the Jaipur-Atrauli style from Maa Manik Bhide, a disciple of Gayasaraswati Kishori Amonkar. He holds a master’s degree in microbiology and a doctorate in biochemistry from a music scholar from Bhabha Atomic Research Centre, All India Gandharva Mahavidyalaya Mandal, Mumbai. She has also been a recipient of Honorary D.Litt.
विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के छठवें दिन ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के अंतर्गत आर्ट एंड क्राफ्ट वर्कशॉप का आयोजन किया गया
- विरासत में मधुबनी आर्ट , क्ले मॉडलिंग, रांगोली मेकिंग , चॉकलेट मेकिंग , एपन जैसी वर्कशॉप का अयोजन किया गया
- विरासत में रही शास्त्रीय संगीत कि धुम शाकिर खान और अश्विनी मे अपनी प्रस्तुति से लोगो का दिल जिता
Dehradun: विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के छठवें दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के अंतर्गत आर्ट एंड क्राफ्ट वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें शाकिर खान (Shakir Khan) देहरादून के कई फाउंडेशन एवं विद्यालय के बच्चो ने प्रतिभाग लिया। इसमें 5 अलग अलग तरह की आर्ट वर्कशॉप का आयोजन करवाया गया। जिसके अंतर्गत मधुबनी आर्ट, क्ले मॉडलिंग, रांगोली मेकिंग, चॉकलेट मेकिंग, एपन जैसी वर्कशॉप आयोजित कि गई।
लतिका ग्रुप फाउंडेशन के 11 विशेष अक्षम बच्चो ने मधुबनी चित्रकारी की वर्कशॉप में भाग लिया जिसे डॉ प्रसून्न कुमार के नेतृत्व में करवाया गया, जिसमे उन्होंने मोर और मछली की आकृति को मिलाकर इक सुंदर आकृति बच्चो को सिखाई। आर्मी पब्लिक स्कूल (क्लीमेन टाउन) के 20 बच्चो ने क्ले मॉडलिंग में भाग लिया जिसमें उनको क्ले से कछुआ बनाना सिखाया जो अदिति एवम अजय द्वारा सिखाया गया।
उसके बाद आर्मी पब्लिक स्कूल के बच्चो ने एपेन वर्कशॉप में भी भाग लिया जो बबिता नौटियाल के नृतित्व में संचालित हुआ जिसमे उन्होंने पवित्र चिन्ह के बारे में बच्चो को बताया एवं बनाना भी सिखाया। रफाएल राइडर चेशायर इंटरनेशनल सेंटर के 7 विशेष अक्षम बच्चो ने रंगोली मेकिंग में भाग लिया जिसका नेतृत्व मुकेश कुमार द्वारा किया गया। साथ ही साथ रफाएल के विशेष अक्षम बच्चो ने चॉकलेट मेकिंग में भी भाग लिया, जिसमे उन्होंने अलग अलग स्वाद की चॉकलेट बनाना सीखा और बनने के बाद उन्होंने खुद चख कर अपनी बनाई चॉकलेट का आंकलन किया। शाकिर खान (Shakir Khan)
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सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं शाकिर खान द्वारा शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुवात राग बागेश्वरी से की। पहले उन्होंने अलाप से शुरू किया फिर उसके बाद विलंबित और आखिर में उन्होंने लोकगीत से प्रस्तुति का समापन किया। उनकी संगत में शुभ महाराज (तबला) पर उनकी प्रस्तुति में उनका सगंत दिया। शाकिर खान ने कहां यह विरासत में उनकी पहली प्रस्तुति है और उनके गुरूओ ने उनहें कहां है कि ’अपनी अच्छे से सीखी हुई कला और संगीत को प्रस्तुति को अच्छे ढंग से मंच पर प्रस्तुत कारना ही सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति होती है।’
शाकिर खान (Shakir Khan) महान इटावा घराने के सबसे होनहार युवा प्रतिपादकों में से एक हैं, जो अपने विलक्षण पिता और गुरु – सितार वादक उस्ताद शाहिद परवेज खान के संगीत के नक्शेकदम पर चलते हैं। शाकिर संगीत प्रतिभा, सितार और सुरबहार की परंपरा की अटूट श्रृंखला में आठवीं पीढ़ी की कड़ी का प्रतिनिधित्व करता है। उनके घराने में उस्ताद अजीज खान साहब, सुरबहारिस्ट उस्ताद वाहिद खान साहब और महान उस्ताद विलायत खान साहब की संगीतमय विरासत शामिल है।
ग्यारह साल की कम उम्र में उनका पहला सार्वजनिक प्रस्तुति हुई थी। अपने पिता के संरक्षण में शाकिर धीरे-धीरे अध्ययन, रियाज़ और गायन के माध्यम से परिपक्व हुऐ है और उन्होंने डोवर लेन संगीत सम्मेलन (कोलकाता), सवाई गंधर्व संगीत समारोह पुणे सहित भारत में प्रतिष्ठित संगीत सम्मेलनों के लिए शानदार प्रदर्शन किया है।
सप्तक संगीत समारोह (अहमदाबाद), बॉम्बे फेस्टिवल (मुंबई), तानसेनसंगीत समारोह (ग्वालियर), शंकरलाल संगीत समारोह (दिल्ली) के साथ-साथ उन्होंने अमेरिका, कनाडा और यूरोप सहित दुनिया भर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया है। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो संगीत प्रतियोगिता में भारत सरकार की योग्यता छात्रवृत्ति और प्रथम पुरस्कार भी जीता है। शाकिर खान सुर (माधुर्य) और लय (लय) की अपनी उत्कृष्ट समझ के लिए बाहर खड़ा है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्य प्रस्तुतियों में अश्विनी जी द्वारा राग भूपाली में शास्त्रीय संगीत की शुरुआत प्रस्तिति हुई एवं उसके बोल रूपक ताल वबोस थे “अब मान ले…“ इसके बाद मध्य ले, “इतनु जोबन पर मान न करें“ उनकी अगली प्रस्तुति राग पराज में एक बंदिश थी, “पवन चलत अली की परकृ“ और तराना के साथ द्रुत तीन ताल में समापन हुआ। उनके साथ गायन पर रुतुजा लाड, तबला पर पं मिथिलेश झा और हारमोनियम पर परोमिता मुखर्जी थे।
अश्विनी भिड़े मुंबई की एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायिका हैं। वह जयपुर-अतरौली घराने की परंपरा से ताल्लुक रखती हैं। मजबूत संगीत परंपरा वाले परिवार में मुंबई में जन्मी, अश्विनी ने वॉयलिन वादक डीके दातार के बड़े भाई नारायणराव दातार के तहत शास्त्रीय प्रशिक्षण शुरू किया। फिर उन्होंने गंधर्व महाविद्यालय से अपना संगीत विशारद पूरा किया। तब से वह गायसरस्वती किशोरी अमोनकर की शिष्या मां माणिक भिड़े से जयपुर-अतरौली शैली में संगीत सीख रही हैं। उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी में मास्टर डिग्री प्राप्त की है और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल, मुंबई से एक संगीत विशारद से जैव रसायन में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। वह मानद डी.लिट की प्राप्तकर्ता भी रही हैं।
दिनांक-15 अक्टूबर 2022 के सांस्कृतिक कार्यक्रम में सुबह 11ः00 बजे- क्राफ्ट वर्क शॉप विद मास्टर क्राफ्ट्समैन, शाम 7ः00 बजे कत्थक नृत्य ’दिव्या गोस्वामी’ के द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा एवं शाम 8ः00 बजे ’ओसमान मिर’ कि प्रस्तुतियां होंगी। 09 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2022 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं।
इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।
रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था।
विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है। विरासत 2022 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।