देहरादून। उत्तर प्रदेश सरकार ने तीसरे इन्वेस्टर मीट ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह के दौरान राज्य में 1 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करने के लिए एसजेवीएन को सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। समारोह के दौरान 80 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। एसजेवीएन उत्तर प्रदेश राज्य में तीन सौर ऊर्जा परियोजनाओं को कार्यान्वित करके इस राशि का निवेश कर रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में इन्वेस्टर मीट, ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह-3 का आयोजन राज्य में निवेश करने वाले बड़े इन्वेस्टर पाटर्नरों को सम्मानित करने के लिए किया गया। अखिलेश्वर कुमार सिंह, निदेशक (वित्त) ने समारोह में एसजेवीएन का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें राजेश कुमार गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक तथा सुरेंद्र सिंह, परियोजना प्रमुख, 75 मेगावाट परासन सौर ऊर्जा परियोजना भी उपस्थित थे।
अखिलेश्वर कुमार सिंह ने बताया कि एसजेवीएन ने खुली प्रतिस्पर्धी टैरिफ बोली प्रक्रिया के माध्यम से बिल्ड ओन एंड ऑपरेट (बीओओ) आधार पर 200 मेगावाट की संचयी क्षमता के साथ उत्तर प्रदेश में तीन (3) ग्रिड कनेक्टेड सौर विद्युत परियोजनाओं को हासिल किया है।
नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने अवगत करवाया कि 75 मेगावाट की सौर विद्युत परियोजना गांव परासन तहसील कल्पी, जिला जालौन में, जबकि 75 मेगावाट की अन्य सौर विद्युत परियोजना गांव गुरहाह तहसील उरई, जिला जालौन में और तीसरी 50 मेगावाट सौर विद्युत परियोजना गांव गुजराई, तहसील अकबरपुर, जिला कानपुर देहात में स्थित है। इन तीन सौर विद्युत परियोजनाओं के साथ, एसजेवीएन उत्तर प्रदेश में लगभग 1057 करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है। 75 मेगावाट की परासन सौर विद्युत परियोजना अगस्त 2022 में कमीशनिंग के लिए निर्धारित है तथा शेष दो परियोजनाओं की कमीशनिंग मई, 2023 तक होने की संभावना है। कमीशनिंग के पश्चात ये परियोजनाएं एक वर्ष में 434 मिलियन यूनिट संचित विद्युत उत्पादन करेगी। इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान 53 हज़ार मानव दिवस के बराबर रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
एसजेवीएन के पास लगभग 31 हज़ार 5 सौ मेगावाट का कुल पोर्टफोलियो है और अब प्रचालन और विकास के विभिन्न चरणों के तहत 31 गीगावाट से अधिक क्षमता की विद्युत परियोजनाएं हैं। हाल ही में अर्जित नई परियोजनाएं एसजेवीएन को वर्ष 2023 तक 5 हज़ार मेगावाट, 2030 तक 25 हज़ार मेगावाट और वर्ष 2040 तक 50 हज़ार मेगावाट की स्थापित क्षमता के साझा विजन को साकार करने का मार्ग प्रशस्त कर रही है।