उत्तराखंड में उत्तराखंड क्रांति दल का हारना उत्तराखंडियत की हार है। इससे न केवल पहाड़ की लड़ाई कमजोर हुई है, बल्कि वहां के विकास का भी अवरुद्ध होना अब निश्चित है। उत्तराखंड क्रांति दल के प्रवक्ता विजय कुमार बौड़ाई ने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल लगातार पहाड़ की लड़ाई लड़ते आ रहा है, लेकिन जनता की ओर से विश्वास व्यक्त न करना पहाड़ की लड़ाई को और कमजोर करना है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के मूलभूत प्रश्न गैरसैंण राजधानी, सख्त भू कानून, समुचित शिक्षा एवं स्वास्थ्य, जल जंगल जमीन जैसे मुद्दे उत्तराखंड के जन्म वर्ष 2000 से यथावत हैं। इनका अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया है। परिसीमन जैसा ज्वलन्त विषय पहाड़ के समक्ष है। यदि भौगौलिक आधार पर पहाड़ पर परिसीमन न हुआ तो निश्चित रूप से पहाड़ की 6 सीटें कम हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि पहाड़ की समस्याओं के समाधान की बात अब जीतने वाले दल के दृष्टि पत्र में भी नहीं है। इसके बावजूद उत्तराखंड क्रान्ति दल फिर भी मायूस नहीं है। उक्रांद उत्तराखंड के लिए लड़ता रहेगा और पुनः उत्तराखंड के मुद्दों की बात को और धारदार ढंग से उठाया जाएगा। साथ ही उक्रांद उत्तराखंड की लड़ाई को जीतेगा।
यूकेडी के प्रवक्ता विजय कुमार बौड़ाई ने उत्तराखंड क्रांति दल के चुनाव चिह्न के बारे में बताया कि उत्तराखंड क्रान्ति दल को कुर्सी चुनाव चिह्न तीन चुनावों के लिए दिया गया था। दल की ओर से दो चुनाव विधानसभा तथा एक संसदीय चुनाव लड़ा जा चुका है। इसलिए चुनाव चिह्न प्राप्त करने के लिये चुनाव आयोग के समक्ष शीघ्र आवेदन किया जाएगा। ताकि चुनाव चिह्न जल्दी मिल सके। चुनाव चिह्न छिन जाने की बात पूर्णतया मनगढ़ंत है।
बौड़ाई ने कहा कि आज भाजपा को पुनः मुख्यमंत्री चुनने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। उत्तराखंड के हित में भाजपा को किसी अनुभवी एवं योग्य व्यक्ति को ही मुख्यमंत्री पद पर बैठाना चाहिए। ताकि उत्तराखंड की समस्याओं का सही ढंग से निराकरण हो सके हो सके। पिछली बार की तरह कई मुख्यमंत्री न बनाने पड़ें, इसलिए सोच समझकर अनुभवी व्यक्ति को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया चाहिए। उक्रांद उत्तराखंड की मूलभूत समस्याओं के निदान के लिए और जोरदार ढंग से संघर्ष करेगा।